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Thu, Dec 18, 2025

दमोह कलेक्टर ने किया रक्तदान, फिर भी नहीं बची पाई महिला की जान, अब होगा ये एक्शन

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
दमोह में जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में O+ ब्लड न मिलने पर कलेक्टर ने भारी बारिश में खुद पहुंचकर रक्तदान किया। इस दौरान दो और लोगों ने भी ब्लड डोनेट किया, लेकिन तीन यूनिट खून चढ़ाने के बावजूद गर्भवती महिला की जान नहीं बच पाई।
दमोह कलेक्टर ने किया रक्तदान, फिर भी नहीं बची पाई महिला की जान, अब होगा ये एक्शन

मध्य प्रदेश का दमोह जिला हर बार की तरह एक बार फिर मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक में खून नहीं मिलने पर कलेक्टर ने मानवता दिखाई। भारी बारिश के बीच ब्लड डोनेट करने के बावजूद महिला की जान नहीं बच पाई। घटनाक्रम के बाद लोगों ने अफसोस जाहिर किया। वहीं, आईएएस अफसर की मानवता के सभी लोग कायल हो गए।

दरअसल, दमोह के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड नहीं थी। जिसकी सूचना मिलते ही कलेक्टर भारी बारिश के बीच ही अस्पताल पहुंचे और ब्लड डोनेट किया।

नहीं बच पाई जान

कलेक्टर सुधीर कोचर की इस मानवीयता को देखकर 2 अन्य लोगों ने भी ब्लड डोनेड किया। जिसके बाद तीन यूनिट ब्लड पीड़ित महिला प्रतिमा गौंड को लगाया गया लेकिन प्रसव से पहले ही महिला ने दम तोड़ दिया। बता दें कि जिला अस्पताल के MCH वार्ड में गर्भवती महिला को एडमिट कराया गया था। जांच के दौरान पता चला कि महिला को खून की कमी थी, जिसकी हालत धीरे-धीरे बिगड़ती जा रही थी। वहीं, अस्पताल के ब्लड बैंक में O+ ब्लड नहीं था। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन ने फौरन कलेक्टर को इसकी खबर दी, तब डीएम तत्काल अस्पताल पहुंचे।

चलाया जाएगा विशेष अभियान

हालांकि, महिला की मौत पर कलेक्टर ने अफसोस जताया। अब वह जिला प्रशासन रक्तदान को लेकर विशेष पहल करने जा रहा है। उन्होंने यह तय किया है कि लोगों को प्रेरित करने अभियान चलाया जाएगा, ताकि वह भी समय-समय पर रक्तदान करें, जिससे जरूरतमंदों को टाइम पर बल्ड मिल सके और उनकी जीवन बचाई जा सके।

कलेक्टर ने कही ये बात

कलेक्टर सुधीर कोचर ने जानकारी देते हुए यह बताया कि 14 अगस्त को जिला प्रशासन एक बड़ा शिविर भी आयोजित किया जाएगा। इस दौरान लोगों को वहां आने की भी अपील की गई है। मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि रक्तदान और ब्लड बैंक की स्थितियों को लेकर के एक मीटिंग बुलाई है। इसमें दो-तीन बड़ी चीजों पर मुख्य फोकस रहेगा। एक ब्लड बैंक होने के कारण समय पर लोगों को ब्लड नहीं मिलता है। इलाज के लिए एक्सचेंज के भरोसे रहना पड़ता है। वहीं, टेस्टिंग की फेस में आधे से एक घंटा लग जाता है। तब तक कई बार मरीज की हालत बिगड़ जाती है। इसलिए जरूरी है कि रक्तदान किया जाए।

दमोह, दिनेश अग्रवाल