दतिया जिले में प्रशासनिक कसावट लाने के उद्देश्य से कलेक्टर स्वप्निल वानखड़े ने एक बार फिर सख्त तेवर दिखाए हैं। बुधवार को बसई कस्बे में आयोजित जनसुनवाई के दौरान कार्य में लापरवाही और गलत जानकारी देने पर पटवारी शैलेंद्र शर्मा को मौके पर ही सस्पेंड कर दिया गया। कलेक्टर ने स्पष्ट संदेश दिया कि प्रशासन में ऐसे कर्मचारियों की कोई जगह नहीं है, जो जनहित को दरकिनार कर नेताओं के दबाव में काम करते हैं।
यह पूरा मामला बसई कस्बे में आयोजित जनसुनवाई के दौरान सामने आया। यहां ग्रामीणों ने कलेक्टर के समक्ष अपनी समस्याएं रखीं। इसी दौरान एक सार्वजनिक नाली के विवाद को लेकर पटवारी की भूमिका पर सवाल उठाए गए। ग्रामीणों का आरोप था कि पटवारी स्थानीय रसूखदारों और नेताओं के प्रभाव में काम कर रहे हैं, जिसके कारण समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।
नाली विवाद और गलत जानकारी बनी वजह
ग्रामीणों ने शिकायत में बताया कि मुख्य सड़क से निकलने वाली एक नाली को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। आरोप है कि कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर मकान बना लिए हैं, जिससे नाली का बहाव रुक गया है और जलभराव की स्थिति बन गई है। जब भी इस मामले की शिकायत की गई, पटवारी ने नाली को तिरछी बताकर और गलत रिपोर्ट पेश कर मामले को टालने की कोशिश की।
जनसुनवाई में जब यह मुद्दा उठा, तो कलेक्टर ने मौके पर ही तथ्यों की जांच की। जांच में पटवारी द्वारा दी गई जानकारी भ्रामक पाई गई। इस पर नाराजगी जताते हुए कलेक्टर ने पटवारी शैलेंद्र शर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के निर्देश दे दिए।
“नेताओं के दबाव में काम करने वाले या जनता की समस्याओं को टालने वाले कर्मचारी स्वीकार नहीं किए जाएंगे।” — स्वप्निल वानखड़े, कलेक्टर, दतिया
तहसीलदार को फटकार, समाधान की डेडलाइन
पटवारी पर कार्रवाई के साथ ही कलेक्टर ने मौके पर मौजूद तहसीलदार को भी कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने निर्देश दिए कि नाली से जुड़े अतिक्रमण और जलभराव की समस्या का तुरंत निराकरण किया जाए। कलेक्टर ने चेतावनी दी कि यदि तय समय सीमा के भीतर समस्या हल नहीं हुई, तो संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
जनसुनवाई के दौरान हुई इस कार्रवाई का वीडियो भी सामने आया है, जो अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। वीडियो में कलेक्टर अधिकारियों को सख्त लहजे में निर्देश देते नजर आ रहे हैं। इस कार्रवाई से जिले के अन्य मैदानी अमले में भी हड़कंप मच गया है। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि जनसुनवाई में लापरवाही किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।





