मनोरंजन, डेस्क रिपोर्ट। खुदा हाफिज 2 की शुरुआत एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पीड़ित पत्नी से होती है जो सामान्य स्थिति के लिए संघर्ष कर रही है। जिन लोगों ने यह मूवी नहीं देखी है उन्हें बता दें कि इसके पहले भाग में एक काल्पनिक मध्य पूर्वी देश में एक मांस व्यापारी पाइपलाइन में हीरोइन फंस गयी थी। जिसे बचाने के लिए हीरो असंभव मिशन पर चल पड़ा था।
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यह मूवी लॉकडाउन के समय OTT प्लेटफार्म पर रिलीज हुई थी। इस मूवी में भी पहले पार्ट की तरह भरपूर एक्शन है। दरअसल खुदा हाफिज 2 की शुरुआत नरगिस (शिवालिका ओबेरॉय) के साथ होती है। जहाँ समीर (विद्युत जामवाल) उसे वापस पटरी पर लाने की कोशिश कर रहा है, और एक प्यारी सी छोटी बच्ची का आगमन उनके जीवन को रोशन कर रहा है। यह पूरी फिल्म जामवाल पर केंद्रित है। जो कि अपने बच्ची लिए सबकुछ करता है। और विलन से लड़ता है।
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फिल्म में ओबेरॉय और जामवाल अपने हिस्से को फिर से दोहराते दिख रहे हैं। इस मूवी को देखने के बाद सिर्फ एक ही चीज समझ में आती है कि बॉलीवुड के पास अच्छे स्टोरी लिखने वाले और निर्देशकों की कमी है क्योंकि यदि आपके पास एक बेहतरीन एक्शन हीरो है तो उसके लिए कुछ बेहतरीन होना चाहिए। फिल्म देखकर ऐसा लग रहा है कि यह पहले पाठ की ही तरह अपहरण रेप और बदले की कहानी है। कुल मिलाकर इसमें विद्युत जमाल के दोहराव को देखा गया है।
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कहानी में नयापन का अभाव है। निर्देशक पहले पार्ट में खुशीयों कि डोर दिखाया है। वहीँ दूसरे पाठ में पूरा एक्शन से भरपूर कर दिया है। मुख्य अपराधी मिश्र में छुपा है लेकिन निर्देशक समीर का एक्शन मिडिल ईस्ट के बजाय उत्तरी अफ्रीका के रेगिस्तानी इलाकों में दिखाया है। फिल्म को बहुत ही खूबसूरती से शूट किया गया है और विद्युत ने बहुत ही बढ़िया काम किया है। लेकिन कहीं-कहीं पर एक्शन और एक्टर अविश्वसनीय लगते हैं।
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ओबरॉय अपने रोल में ठीक लगी हैं। वहीं दबंग शीबा चड्ढा भी बढ़िया एक्टिंग की है। इसके अलावा आपका ध्यान बदमाश बच्चा भी खींचेगा। फिल्मों में दानिश हुसैन और दिव्यांशु शर्मा अपनी छोटी भूमिकाओं के लिए याद रखने योग्य हैं।





