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Wed, Dec 17, 2025

हरियाणा में आयुष्मान योजना पर संकट: निजी अस्पतालों ने इलाज रोकने की चेतावनी, 400 करोड़ का बकाया

Written by:Vijay Choudhary
Published:
सरकार को चाहिए कि IMA के साथ बैठकर जल्द से जल्द कोई समाधान निकाले, ताकि न मरीजों को परेशानी हो और न ही अस्पतालों की सेवाएं प्रभावित हों।
हरियाणा में आयुष्मान योजना पर संकट: निजी अस्पतालों ने इलाज रोकने की चेतावनी, 400 करोड़ का बकाया

आयुष्मान योजना

हरियाणा में आयुष्मान भारत योजना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। राज्य के निजी अस्पतालों ने सरकार को बकाया भुगतान न मिलने की स्थिति में इलाज बंद करने की चेतावनी दी है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) हरियाणा ने इसको लेकर सरकार को औपचारिक नोटिस जारी किया है। IMA के अनुसार, प्रदेश के करीब 650 निजी अस्पतालों का लगभग 400 करोड़ रुपये का भुगतान अटका हुआ है। गुरुग्राम समेत कई जिलों के अस्पतालों में यह राशि मार्च 2024 से लंबित है, जिससे आयुष्मान योजना से जुड़े मरीजों की चिंता बढ़ गई है।

निजी अस्पतालों का अल्टीमेटम

IMA हरियाणा के अध्यक्ष डॉ. सुधीर मलिक के अनुसार, “सरकार पिछले कई महीनों से बकाया राशि का भुगतान नहीं कर रही, जिससे अस्पतालों की वित्तीय हालत कमजोर हो गई है। हमने कई बार स्वास्थ्य विभाग और आयुष्मान एजेंसी से संपर्क किया, लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिला।” IMA ने कहा है कि अगर 15 दिनों के भीतर कोई समाधान नहीं निकला, तो पैनल में शामिल अस्पताल आयुष्मान कार्डधारकों का इलाज बंद कर देंगे। इससे लाखों मरीजों को दिक्कत हो सकती है, जो योजना के तहत अपना इलाज करवा रहे हैं।

गुरुग्राम के 60 से ज्यादा अस्पताल प्रभावित

गुरुग्राम जिले में 60 से अधिक निजी अस्पतालों का भुगतान अटका हुआ है। स्थानीय अस्पताल प्रबंधकों के अनुसार, मार्च 2024 के बाद से केवल 10-15% भुगतान ही हुआ है। इससे स्टाफ की सैलरी, दवाइयों की खरीद और इंफ्रास्ट्रक्चर की मेंटेनेंस जैसे जरूरी कार्यों में बाधा आ रही है। एक अस्पताल निदेशक ने कह- “हम योजना के तहत मरीजों का इलाज करते हैं, लेकिन भुगतान महीनों तक नहीं आता। ऐसे में यह योजना हमारे लिए आर्थिक बोझ बन गई है। सरकार को समझना होगा कि यह जनहित का मामला है, लेकिन डॉक्टर और अस्पताल भी अपनी जिम्मेदारी तभी निभा सकते हैं जब उन्हें उचित भुगतान मिले।”

मरीजों के पास सीमित विकल्प

आयुष्मान भारत योजना के तहत हर परिवार को 5 लाख रुपये सालाना मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है। हरियाणा में लाखों लोग इस योजना के लाभार्थी हैं। योजना के तहत सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों को जोड़ा गया है, ताकि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। लेकिन यदि निजी अस्पतालों ने इलाज बंद कर दिया, तो मरीजों को केवल सरकारी अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ेगा, जहां पहले से ही बेड की कमी और संसाधनों की सीमाएं हैं। एक मरीज के परिजन ने कहा- “हमारे पास इलाज के लिए कोई और विकल्प नहीं है। अगर निजी अस्पताल मना करेंगे तो हम कहां जाएंगे? सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।”

सरकार की प्रतिक्रिया और अगला कदम

फिलहाल हरियाणा सरकार ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकार किया है और स्वास्थ्य विभाग को IMA के नोटिस पर विचार करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, अभी तक इस पर कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि-“भुगतान प्रक्रिया में कुछ तकनीकी अड़चनें आई थीं, जिन्हें दूर किया जा रहा है। हम IMA के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि मरीजों को कोई परेशानी न हो।”

समाधान जरूरी नहीं तो संकट

हरियाणा में आयुष्मान भारत योजना लाखों लोगों के लिए स्वास्थ्य का सहारा है, लेकिन बकाया भुगतान को लेकर सरकार और निजी अस्पतालों के बीच जारी खींचतान इसका भविष्य खतरे में डाल सकती है। अगर जल्द कोई व्यवस्थित और पारदर्शी भुगतान प्रक्रिया नहीं बनी, तो राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा असर पड़ सकता है। सरकार को चाहिए कि IMA के साथ बैठकर जल्द से जल्द कोई समाधान निकाले, ताकि न मरीजों को परेशानी हो और न ही अस्पतालों की सेवाएं प्रभावित हों।