अपराजिता का पौधा न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि वास्तुशास्त्र के अनुसार भी बेहद शुभ होता है। अपराजिता के नीले सुंदर सुंदर फूल भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। सावन के महीने में इन फूलों की डिमांड बढ़ जाती है। यही कारण है कि अकसर लोग अपराजिता का पौधा अपने घर में लगाते हैं जिससे की भी भगवान शिव को मन चाहे फूल चढ़ा सकता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे लगाने के भी कुछ नियम होते हैं? ऐसा माना जाता है कि अपराजिता कि पौधों को अगर सही दिन और सही दिशा में लगाया जाए, तो यह घर के वास्तु दोष को दूर कर सकता है और जीवन में सुख शांति ला सकता है। आइए जानते हैं अपराजिता का पौधा लगाने से जुड़ी ज़रूरी वास्तु टिप्स।
वास्तु के अनुसार अपराजिता का पौधा कब और कैसे लगाएं
किस दिन लगाना चाहिए अपराजिता का पौधा?
वास्तु शास्त्र के अनुसार बृहस्पतिवार (गुरुवार) का दिन अपराजिता का पौधा लगाने के लिए सबसे शुभ माना गया है। यह दिन भगवान शिव , विष्णु और देवी लक्ष्मी से जुड़ा होता है। इसलिए इस दिन अपराजिता लगाना घर में बरकत और धन-लाभ का संकेत देता है।
- पौधा लगाते समय घर के सदस्य साफ मन और सकारात्मक सोच के साथ रहें।
- पौधे को लगाने से पहले उस स्थान की सफाई जरूर करें।
- अगर संभव हो तो अपराजिता की बेल को पीले कपड़े में बांधकर लगाएं, यह शुभता को बढ़ाता है।
किस दिशा में लगाना चाहिए अपराजिता का पौधा?
अपराजिता को उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा में लगाना वास्तु के अनुसार सबसे अधिक लाभकारी होता है। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक विकास से जुड़ी मानी जाती है। उत्तर-पूर्व दिशा में लगे पौधे से घर में मानसिक शांति बनी रहती है। पूर्व दिशा में लगाने से सूर्य की रोशनी सीधी पौधे पर पड़ती है, जिससे यह तेजी से बढ़ता है। इस दिशा में लगाई गई बेल घर के वातावरण को पवित्र और शांत बनाए रखती है।
अपराजिता पौधा लगाने से मिलने वाले फायदे
- यह पौधा घर में नेगेटिविटी को दूर करता है और सकारात्मक वाइब्स को बढ़ाता है।
- इसके फूल पूजा-पाठ में चढ़ाए जाते हैं, जिससे घर में आध्यात्मिक वातावरण बना रहता है।
- आयुर्वेद में अपराजिता का प्रयोग मानसिक तनाव, नींद की समस्या और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में होता है।
- मान्यता है कि यह पौधा घर में धन, सुख और शांति लेकर आता है।





