Sat, Dec 27, 2025

गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला लेना पड़ रहा है महंगा, अन्य शुल्क के नाम पर वसूल रहे मनमानी फीस!

Written by:Lalita Ahirwar
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गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला लेना पड़ रहा है महंगा, अन्य शुल्क के नाम पर वसूल रहे मनमानी फीस!

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। शिक्षा का अधिकार अधिनियम यानी RTE (Right to Education) के तहत निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाई (Right to free Education) कराने का प्रावधान है, लेकिन फिर भी उनके अभिभावकों द्वारा तरह-तरह के शुल्क के नाम पर हज़ारों रुपय वसूले जा रहे हैं। इस कारण स्कूलों में सीट आवंटन के बावजूद अभिभावक बच्चों की प्रवेश दिलवाने में कतरा रहे हैं। आपको बता दें प्रदेश के 26 हजार निजी स्कूलों में चार लाख सीटें आरटीई के तहत सुरक्षित हैं। इसके बावजूद हर साल करीब 2 लाख बच्चे ही दाखिला लेते हैं। मौजूदा सत्र में अब तक लगभग डेढ़ लाख से अधिक आवेदन आए हैं। हालांकि शासन स्कूलों को प्रति बच्चा 4870 रुपये बतौर शिक्षण शुल्क देता है, लेकिन अन्य शुल्क अभिभावक को वहन करना बेहद मुश्किल होता है। वहीं शिक्षाविदों का कहना है कि शिक्षा का अधिकार यानी पूरी शिक्षा मुफ्त। लेकिन यह प्रविधान तब तक उद्देश्य को पूरा नहीं करता, जब तक गरीब अभिभावक को शिक्षण समेत तमाम शुल्कों से छूट नहीं मिलती। यही वजह है कि आरटीई के तहत साल-दर-साल निजी स्कूलों में प्रवेश संख्या कम होती जा रही है।

जानकारी के अनुसार राजधानी भोपाल के डीपीएस, सागर पब्लिक स्कूल, बिलाबांग समेत तमाम बड़े स्कूलों में ऐसे अन्‍य शुल्क लिए जा रहे हैं। इसमें यूनिफार्म, कॉपी-किताब, मेस खर्च, गतिविधि शुल्क और बस किराया आदि शामिल हैं। इसपर अभिभावकों का कहना है कि शिक्षण शुल्क माफ तो होता है, लेकिन दूसरे शुल्क में 60 से 70 हज़ार रुपये तक का खर्च होता है, जिससे बच्चे को पढ़ाना मुश्किल हो जाता है।