Wed, Dec 24, 2025

29 जुलाई को आएंगे बाघ गणना के राज्यवार आंकड़े, MP के टाइगर स्टेट बने रहने का किया जा रहा दावा

Written by:Diksha Bhanupriy
Published:
29 जुलाई को आएंगे बाघ गणना के राज्यवार आंकड़े, MP के टाइगर स्टेट बने रहने का किया जा रहा दावा

Tiger In MP: 29 जुलाई को बाघ गणना 2022 की रिपोर्ट जारी की जाने वाली है। इसमें देशभर के राज्यों में बाघों की संख्या के बारे में जानकारी दी जाएगी। मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला हुआ है, ऐसे में पिछले कुछ दिनों में लगातार हो रही बाघ की मौतों के बाद राज्य का ये दर्जा बरकरार रहता है या नहीं ये अपने-अपने बड़ा सवाल है। लेकिन इसी बीच मध्यप्रदेश में मौजूद बाघों का जो आंकड़ा सामने आ रहा है। उसके अनुसार यह कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश आगे भी टाइगर स्टेट ही रहने वाला है।

पिछली गणना में मध्यप्रदेश में 526 बाघ थे, जिसके बाद इसे टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था। लेकिन इस समय कर्नाटक बराबर की टक्कर देते हुए 524 के आंकड़े पर था। खबरों के मुताबिक वन अधिकारियों ने इस बार बाघों की संख्या 170 बढ़ने का दावा किया है। जिसके बाद यह आंकड़ा 700 के पार पहुंच जाएगा।

देश में कितने बाघ

देश के अलग-अलग राज्यों में बाघ की संख्या की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल के महीने में बाघों की देशव्यापी संख्या के बारे में जानकारी देते हुए बताया था कि भारत में कुल 3167 बाघ हैं। उस समय राज्यवार संख्या का आंकड़ा नहीं बताया गया था। जिसे विश्व बाघ दिवस यानी 29 जुलाई पर जारी किया जाएगा। 2018 में हुई जनगणना में मध्यप्रदेश में 526, कर्नाटक में 524, महाराष्ट्र में 312, तमिलनाडु में 264 और उत्तराखंड में 442 बाघ होने की जानकारी दी गई थी।

राज्यों के बीच कड़ा मुकाबला 

इस बार बाघों के आंकड़े की जो राज्यवार डिटेल जारी की जाने वाली है। उसमें अन्य राज्यों में भी बाघों की संख्या बढ़ सकती है। मध्यप्रदेश का अपनी बादशाहत बरकरार रखने में कड़े मुकाबले का सामना करना होगा। उसी को देखते हुए इस बार एमपी में गणना की अवधि बढ़ाते हुए नवंबर 2021 से अक्टूबर 2022 तक रखी गई थी, जो दूसरे राज्यों से ज्यादा है।

मध्य प्रदेश में 700 बाघ

बाघ की गणना में भू लैंडस्केप की जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें बताया गया है कि मध्य प्रदेश में कुल 700 बाघ मौजूद हैं। ये रिपोर्ट अलग अलग क्षेत्रों में कैमरा  लगाकर बाघों की उपस्थिति के प्रमाण के आधार पर बनाई गई है। इसमें उन क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है, जहां दो से तीन दशक से टाइगर का मूवमेंट ही नहीं था। इस बारे में प्रदेश के वन अधिकारी खुलकर तो कुछ नहीं बता रहे हैं लेकिन यह कहा जा रहा है कि इस बार प्रदेश बड़ी संख्या के साथ पहले नंबर पर काबिज होगा।

मौत का आंकड़ा भी ज्यादा

दुर्भाग्य की बात यह है कि बाघों की मौत के आंकड़े में भी मध्यप्रदेश नंबर वन पर बना हुआ है। पिछले 6 महीने में यहां लगभग 26 बाघों की मौत हो गई है जबकि यहां की तुलना में कर्नाटक में केवल 7 बाघों की जान गई है। हालांकि, बाघों की दुखद मौत की घटना के बीच राहत की बात यह है कि मध्यप्रदेश में इनकी वंश वृद्धि भी तेजी से देखी जा रही है।