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Sat, Dec 20, 2025

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, यूपी मदरसा एक्ट को मान्यता दी, डिग्री देने का अधिकार यूजीसी एक्ट के खिलाफ माना

Written by:Rishabh Namdev
Published:
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। जानकारी के अनुसार कोर्ट ने मदरसा बोर्ड को फाजिल, कामिल जैसी डिग्री देने के अधिकार यूजीसी एक्ट के खिलाफ बताया है। इसके साथ ही कोर्ट ने माना कि छात्रों को धार्मिक शिक्षा के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, यूपी मदरसा एक्ट को मान्यता दी, डिग्री देने का अधिकार यूजीसी एक्ट के खिलाफ माना

मंगलवार (5 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए मदरसा एक्ट में दिए गए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से मदरसा एक्ट को मान्यता दे दी गई। जानकारी दे दें कि 22 मार्च को यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया था। दरअसल कोर्ट का कहना था कि यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट संविधान के मौलिक ढांचे के खिलाफ है, जिसके चलते सभी छात्रों का दाखिला सामान्य स्कूलों में करवाना चाहिए।

वहीं अब इस फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे यूजीसी एक्ट के खिलाफ बताया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से मदरसा एक्ट को मान्यता दी गई है। दरअसल सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की तीन जस्टिस की बेंच ने यह बड़ा फैसला सुनाया है।

जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

दरअसल जस्टिस बेंच का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा शिक्षा को नियमित करने का कानून बनाया जा सकता है। जिसमें सिलेबस, छात्रों का स्वास्थ्य जैसे कई पहलुओं को शामिल किया जा सकता हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने बताया कि मदरसा छात्रों को मजहबी शिक्षा भी देते हैं। दरअसल कोर्ट ने माना कि मदरसों का मुख्य उद्देश्य भी छात्रों को शिक्षा प्रदान करना ही है। ऐसे में छात्रों को धार्मिक शिक्षा के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।

डिग्री देने का अधिकार यूजीसी एक्ट के खिलाफ

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को सुनाते हुए बताया कि मदरसा एक्ट संवैधानिक है। हालांकि कोर्ट ने एक्ट के बारे में यह भी कहा है कि इस एक्ट में जो मदरसा बोर्ड को फाजिल, कामिल जैसी डिग्री देने का अधिकार दिया गया है, वह यूजीसी एक्ट के खिलाफ है। जिसके चलते इसे हटा देना चाहिए। कोर्ट का कहना है कि मदरसों द्वारा डिग्री देना असंवैधानिक है, लेकिन यह एक्ट संवैधानिक है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए बताया है कि बोर्ड सरकार की सहमति से ऐसी व्यवस्था बनाई जा सकती है जिससे धार्मिक चरित्र भी प्रभावित न हो और बिना सेक्युलर शिक्षा भी प्राप्त हो सके।