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Wed, Dec 17, 2025

तेलंगाना विधान परिषद में मोहम्मद अजहरुद्दीन का नामांकन, कांग्रेस किस तरह का दे रही राजनीतिक संदेश

Written by:Mini Pandey
Published:
प्रोफेसर एम. कोडंदरम का दोबारा नामांकन भी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश है। तेलंगाना राज्य आंदोलन से जुड़े इस सम्मानित व्यक्ति की पहली नामांकन को बीआरएस नेताओं ने कानूनी चुनौती दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था।
तेलंगाना विधान परिषद में मोहम्मद अजहरुद्दीन का नामांकन, कांग्रेस किस तरह का दे रही राजनीतिक संदेश

तेलंगाना विधान परिषद में कांग्रेस सरकार ने पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान व राज्य कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष मोहम्मद अजहरुद्दीन और प्रोफेसर एम. कोडंदरम को राज्यपाल कोटे के तहत नामांकित किया है। यह निर्णय हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद लिया गया, जिसमें सियासत के संपादक अमेर अली खान और कोडंदरम की पिछली नियुक्तियों को प्रक्रियात्मक कारणों से रद्द कर दिया गया था। यह रणनीतिक कदम कांग्रेस की कई राजनीतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए उठाया गया है।

मोहम्मद अजहरुद्दीन का नामांकन कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत पार्टी राज्य मंत्रिमंडल में मुस्लिम समुदाय और ग्रेटर हैदराबाद क्षेत्र का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहती है। वर्तमान में मंत्रिमंडल में तीन स्थान रिक्त हैं, और अजहरुद्दीन को विधान परिषद सदस्य के रूप में शामिल कर इस कमी को पूरा किया जा सकता है। इसके अलावा, यह कदम आगामी जूबिली हिल्स विधानसभा उपचुनाव को ध्यान में रखकर उठाया गया है, जहां अजहरुद्दीन 2023 में हार गए थे। उन्हें परिषद में लाकर कांग्रेस ने इस सीट के लिए किसी अन्य उम्मीदवार संभवतः पिछड़ा वर्ग (बीसी) से को मौका देने का रास्ता खोला है।

कैसा यह राजनीतिक संदेश

प्रोफेसर एम. कोडंदरम का दोबारा नामांकन भी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश है। तेलंगाना राज्य आंदोलन से जुड़े इस सम्मानित व्यक्ति की पहली नामांकन को बीआरएस नेताओं ने कानूनी चुनौती दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। कोडंदरम को फिर से नामांकित कर कांग्रेस ने अपने प्रमुख सहयोगियों के प्रति प्रतिबद्धता जताई है और यह दिखाया है कि वह राजनीतिक चुनौतियों से विचलित नहीं होगी।

कानूनी विवादों के बाद फैसला

यह नामांकन कई कानूनी विवादों के बाद हुआ है। कांग्रेस सरकार के शुरुआती नामांकनों को बीआरएस ने चुनौती दी थी, उनका दावा था कि उनके नामांकित व्यक्तियों की सिफारिशों को तत्कालीन राज्यपाल ने अनुचित रूप से खारिज किया था। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले नामांकनों को रद्द करते हुए सरकार को कैबिनेट सिफारिश और राज्यपाल की मंजूरी की उचित प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद ये नए नामांकन किए गए हैं।