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Sun, Dec 21, 2025

International Labour Day: श्रमिकों के संघर्ष, सम्मान और अधिकारों को समर्पित दिन, जानिए अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का इतिहास, उद्देश्य और महत्व

Written by:Shruty Kushwaha
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आज का दिन मजदूरों के अधिकारों, उनके संघर्षों और योगदान को सम्मान देने का दिन है। ये हमें मजदूरों के हक के लिए लड़े गए ऐतिहासिक आंदोलनों की याद भी दिलाता है। मजदूर आंदोलन का शुरुआती 'हेमार्केट अफेयर' हो या रूस की क्रांति या फिर भारत में बॉम्बे टेक्सटाइल स्ट्राइक..ये सभी आंदोलन मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के साथ उनकी गरिमा और न्याय की बात करते हैं जिनके लिए मजदूरों ने दशकों तक संघर्ष किया है।
International Labour Day: श्रमिकों के संघर्ष, सम्मान और अधिकारों को समर्पित दिन, जानिए अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का इतिहास, उद्देश्य और महत्व

International Labour Day : आज अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस है। इसे श्रमिक दिवस भी कहते हैं जो दुनियाभर के उन लाखों श्रमिकों और मेहनतकशों को समर्पित है जिनके कठिन परिश्रम और समर्पण से समाज और अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत होती है। भारत सहित दुनियाभर के कई देशों में इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों, रैलियों और सम्मेलनों के माध्यम से श्रमिकों के योगदान को सम्मानित किया जाता है।

इस दिन की शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने X पर लिखा है कि ‘परिश्रम, संकल्प और समर्पण से राष्ट्र की नींव को मजबूत करने वाले हमारे श्रमिक भाई-बहनों को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। श्रमिकों के तप, त्याग और पुरुषार्थ से ही विकास का हर संकल्प साकार होता है। आइए, श्रमिकों के श्रम का सम्मान करते हुए हम सब मिलकर समृद्ध और सशक्त भारत के निर्माण में योगदान दें।’

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत 19वीं सदी के अंत में हुई जब औद्योगिक क्रांति के दौरान श्रमिकों के शोषण और अमानवीय कार्य परिस्थितियों के खिलाफ आवाज उठाने के साथ हुई। उस समय जब कारखानों और उद्योगों की संख्या बढ़ रही थी..मजदूरों को बहुत मुश्किल हालात में काम करना पड़ता था। उन्हें लंबे समय तक काम करना पड़ता था, बहुत कम पैसे मिलते थे और काम की जगह भी सुरक्षित नहीं थी। इन सबके खिलाफ मजदूरों ने आवाज उठाई। 1 मई, 1886 को अमेरिका के शिकागो शहर में हजारों मजदूरों ने हड़ताल की। वे चाहते थे कि दिन में सिर्फ 8 घंटे काम हो। उनके श्रम के लिए सही मजदूरी मिले और कार्यस्थल सुरक्षित हो। इस हड़ताल को ‘हेमार्केट अफेयर’ कहा जाता है। इस दौरान कुछ मजदूरों की जान भी चली गई, लेकिन उनके बलिदान ने दुनिया भर में मजदूरों को अपने हक के लिए लड़ने की हिम्मत दी।

1889 में पेरिस में एक बड़ा सम्मेलन हुआ, जिसे द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन कहा जाता है। इसमें फैसला हुआ कि 1 मई को हर साल अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा। तब से ये दिन मजदूरों के हक और एकजुटता का प्रतीक बन गया।

भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत

भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई, 1923 को चेन्नई (तब मद्रास) में हुई। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने इस दिन को पहली बार मनाया। तब से भारत में भी यह दिन मजदूरों के सम्मान और उनके हकों की रक्षा के लिए मनाया जाता है। भारत में श्रमिक दिवस पर विभिन्न ट्रेड यूनियनों, श्रम संगठनों और सामाजिक संस्थाओं द्वारा रैलियां, सेमिनार और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

श्रमिक दिवस का उद्देश्य और महत्व

मजदूर दिवस मनाने का उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना, उनके योगदान को सम्मान देना और समाज में उनकी स्थिति को बेहतर करना है। मजदूर दिवस हमें याद दिलाता है कि मजदूरों की मेहनत के बिना कोई भी देश तरक्की नहीं कर सकता। श्रमिक किसी भी राष्ट्र की रीढ़ हैं। चाहे वह कारखानों में काम करने वाले मजदूर हों, खेतों में मेहनत करने वाले किसान हों या निर्माण स्थलों पर पसीना बहाने वाले श्रमिक हों..इनके बिना कोई भी समाज या देश की प्रगति संभव नहीं है। ये दिन श्रमिकों के संघर्षों के महत्व को सामने लाता है और नीति निर्माताओं को उनके कल्याण के लिए बेहतर नीतियां बनाने के लिए प्रेरित करता है।