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Sat, Dec 20, 2025

ममता बनर्जी का बड़ा ऐलान, कर्मश्री योजना का नाम बदला, पढ़ें पूरी खबर

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ममता बनर्जी ने राज्य सरकार रोजगार गारंटी स्कीम का नाम बदलने का फैसला लिया है। यह कदम वीबी-जी राम-जी बिल लोक सभा में पास होने के बाद उठाया है। उन्होनें कहा कि, "अब कर्मश्री योजना का नाम महात्मा गांधी के नाम पर होगा।"
ममता बनर्जी का बड़ा ऐलान, कर्मश्री योजना का नाम बदला, पढ़ें पूरी खबर

गुरुवार को लोक सभा में विकसित भारत गरंटिड फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानि वीबी-जी राम-जी बिल (VB-G-RAM G Bill) को पारित कर दिया गया है। यह मनरेगा का स्थान लेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा देगी। विपक्ष इसका विरोध कर रहे हैं। नरेगा का बदलने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने घोषणा की है। राज्य सरकार रोजगार गारंटी स्कीम “कर्मश्री” का नाम अब महात्मा गांधी के नाम पर रखा जाएगा।

मनरेगा स्कीम से महात्मा गांधी का नाम हटने पर ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होनें कहा, “मुझे शर्म आती है कि नरेगा स्कीम से महात्मा गांधी का हटाया जा रहा है। लोग राष्ट्रपिता को भी भूल रहे हैं। इसलिए हमारी सरकार ने कर्मश्री योजना का नाम महात्मा गांधी के नाम पर रखने का फैसला लिया है। इस योजना के तहत भी 75 दिन का रोजगार मिलता है।” उन्होनें कहा, “यदि वे राष्ट्रपिता को सम्मान नहीं दे सकते, तो हम देंगे।”

बंगाल बड़े लॉजिस्टिक हब के रूप में उभर रहा-ममता बनर्जी 

18 दिसंबर को कोलकाता में बिजनेस एंड इंडस्ट्री कॉन्क्लेव कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें 15 हजार से अधिक उद्योगपति शामिल हुए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि, “बंगाल बदल रहा है, लेकिन कुछ लोग इसे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होनें बताया है पश्चिम बंगाल देश के सबसे बड़े लॉजिस्टिक हब के तौर पर उभर रहा है। कई राज्यों से मुकाबला भी कर रहा है। वर्ल्ड बैंक ने भी कई लॉजिस्टिक्स और औद्योगिकी कार्यों में साझेदारी की है। जिसके आर्थिक नींव मजबूत हुई।

आखिर क्या है जी-राम-जी बिल?

वीबी-जी राम-जी बिल पास होने पर संसद भारी हंगामा देखने को मिला। इसे 16 दिसंबर को ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पेश किया था। सरकार ने दावा किया है यह ग्रामीण रोजगार और आजीविका को मजबूत करेगा। इसे नए तरीके से विकसित भारत 2047 के तहत डिजाइन किया गया है। यह प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 125 दिनों का रोजगार देगा, जबकि मनरेगा 100 दिनों का रोजगार की गारंटी देता है। मजदूरी का भुगतान 15 दिन के ब्याज साप्ताहिक आधार पर होगा। लोक सभा में पारित होने के बाद यह विधेयक आगे की संसदीय प्रक्रिया से गुजरेगा।