विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आगामी संसद के मॉनसून सत्र में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए विधेयक लाने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि यह मांग संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों पर आधारित है। उन्होंने बताया कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में विभाजित करने के बाद से वहां के लोग लगातार पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, सरकार का इस सत्र में ऐसा कोई विधेयक लाने का इरादा नहीं है।
राहुल गांधी ने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि स्वतंत्र भारत में किसी पूर्ण राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने का यह पहला मामला है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार द्वारा दी गई आश्वासनों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया था। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कई मौकों पर इसकी पुष्टि की लेकिन कोई समयसीमा नहीं दी गई। अप्रैल 2022 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई।
लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत लाने की मांग
राहुल गांधी ने लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत लाने की भी मांग की जो वहां के आदिवासी क्षेत्रों के लिए विशेष प्रशासनिक व्यवस्था प्रदान करती है। यह मांग लद्दाख के कई कार्यकर्ताओं (जिनमें सोनम वांगचुक शामिल हैं) की ओर से उठाई गई है। इस कदम से लद्दाख के लोगों की सांस्कृतिक, विकासात्मक और राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही उनकी जमीन और पहचान की रक्षा होगी।
कई विधेयकों को पेश करने की योजना
आगामी मॉनसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा। इसमें सरकार कई अन्य विधेयकों को पेश करने की योजना बना रही है जिनमें मणिपुर जीएसटी संशोधन विधेयक, कराधान कानून संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ लंबित विधेयक जैसे आयकर विधेयक 2025 और गोवा में अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व समायोजन विधेयक 2024 को भी पारित करने की उम्मीद है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से संबंधित मांगों पर सरकार का रुख अभी स्पष्ट नहीं है।





