झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक और आदिवासी राजनीति के पुरोधा शिबू सोरेन का सोमवार सुबह दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। वे पिछले कई दिनों से वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे और किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। इसके अलावा, उन्हें हाल ही में स्ट्रोक भी आया था, जिसके बाद उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई। अस्पताल प्रशासन ने पुष्टि की कि सुबह 8:56 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई। राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू हो चुकी है।
हेमंत सोरेन का भावुक संदेश
झारखंड के मुख्यमंत्री और शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन ने अपने पिता को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि- “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं।” हेमंत सोरेन ने पिता के योगदान को याद करते हुए कहा कि वे आदिवासी समाज के आत्मसम्मान और अधिकारों की आवाज थे। उन्होंने जो आदर्श छोड़े हैं, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रहेंगे।
संघर्ष, प्रतिबद्धता और विरासत
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को उस समय के बिहार के हजारीबाग जिले के निमियाघाट गांव में हुआ था। उन्हें ‘दिशोम गुरु’ या ‘गुरुजी’ के नाम से जाना जाता था। उनका राजनीतिक जीवन आदिवासियों के हक और अस्तित्व की लड़ाई से शुरू हुआ। उन्होंने झारखंड अलग राज्य आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
शिबू सोरेन 1977 में पहली बार चुनाव लड़ा लेकिन हार मिली। 1980 में लोकसभा पहुंचे और लंबे समय तक सांसद रहे। 2005, 2008 और 2009 में तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। केंद्र सरकार में कोयला मंत्री भी रहे। हालांकि वे एक बार भी मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके, लेकिन उनकी राजनीतिक पकड़ और जनाधार मजबूत बना रहा।
प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिबू सोरेन के निधन पर शोक जताया। वे खुद सर गंगा राम अस्पताल पहुंचे और परिवार से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त की। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा- “शिबू सोरेन जी को श्रद्धांजलि देने अस्पताल गया। वे झारखंड की मिट्टी से जुड़े नेता थे, जिन्होंने सामाजिक न्याय और आदिवासियों के अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष किया। मेरी संवेदनाएं हेमंत जी, कल्पना जी और सभी प्रशंसकों के साथ हैं।”
राहुल और खड़गे ने भी दी श्रद्धांजलि
पीएम मोदी के श्रद्धांजलि देने के बाद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पहुंच पर दुख जताया और श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा कई नेता सर गंगा राम अस्पताल पहुंच कर श्रद्धांजलि दी।
सामाजिक और राजनीतिक योगदान
शिबू सोरेन ने अपने जीवन में आदिवासियों की जमीन, जल और जंगल पर अधिकार को लेकर आवाज उठाई। वे अक्सर सरकारों के फैसलों के खिलाफ खड़े रहे, जब उन्हें लगा कि आदिवासी हितों से समझौता हो रहा है। उन्होंने अपनी पार्टी झामुमो के जरिए झारखंड को आदिवासी पहचान दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई। उनके नाम पर कई बार विवाद भी जुड़े, लेकिन उनकी जनता से गहराई से जुड़ी पहचान और राजनीतिक प्रतिबद्धता ने उन्हें झारखंड की राजनीति में अमिट बना दिया।
राज्य में शोक, श्रद्धांजलि की तैयारियां
राज्य सरकार ने राजकीय शोक की घोषणा की है। झारखंड के सभी जिलों में सरकारी इमारतों पर झंडे झुका दिए गए हैं। रांची स्थित पार्टी कार्यालय में झामुमो कार्यकर्ता, नेता और आम लोग दिशोम गुरु को अंतिम विदाई देने जुटने लगे हैं। उनका पार्थिव शरीर रांची लाया जाएगा, जहां हजारों लोग अंतिम दर्शन कर सकेंगे। झारखंड विधानसभा में भी उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। शिबू सोरेन का निधन झारखंड के लिए एक युग का अंत है। उन्होंने जिस संघर्ष से राज्य की राजनीति को आकार दिया, वह प्रेरणादायक है। उनका राजनीतिक और सामाजिक योगदान न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश में आदिवासी अधिकारों की लड़ाई में एक उदाहरण रहेगा। उनकी विरासत हेमंत सोरेन जैसे नेताओं के हाथ में है, जो अब अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी निभाएंगे।





