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Fri, Dec 19, 2025

संसद में 29 जुलाई से ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे होगी चर्चा, पीएम मोदी-अमित शाह भी रह सकते हैं मौजूद

Written by:Mini Pandey
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, "जो लोग खुद को देशभक्त कहते हैं वे भाग खड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री एक भी बयान नहीं दे पाए। ट्रंप ने 25 बार दावा किया कि उन्होंने सीजफायर कराया।"
संसद में 29 जुलाई से ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे होगी चर्चा, पीएम मोदी-अमित शाह भी रह सकते हैं मौजूद

संसद के चालू मॉनसून सत्र में अगले मंगलवार (29 जुलाई) को ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा होने की संभावना है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, सरकार ने दोनों सदनों में इस मुद्दे पर 16 घंटे की चर्चा के लिए समय निर्धारित किया है। बुधवार को राज्यसभा की व्यवसाय सलाहकार समिति (बीएसी) की बैठक में यह निर्णय लिया गया। लोकसभा में भी अगले सप्ताह इस चर्चा की शुरुआत होगी जिसमें विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति और इस मुद्दे पर उनके बयान की मांग की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह के इस चर्चा में भाग लेने की उम्मीद है। विपक्षी दलों ने मांग की है कि पीएम मोदी इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर न केवल संसद में बल्कि पूरे देश को संबोधित करें। भारत-पाकिस्तान के बीच तथाकथित सीजफायर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दावों पर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा कि ट्रंप ने पिछले 73 दिनों में 25 बार यह दावा किया लेकिन पीएम मोदी इस पर पूरी तरह चुप हैं।

राहुल गांधी ने साधा निशाना

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “जो लोग खुद को देशभक्त कहते हैं वे भाग खड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री एक भी बयान नहीं दे पाए। ट्रंप ने 25 बार दावा किया कि उन्होंने सीजफायर कराया। वह कौन हैं? यह उनका काम नहीं है। फिर भी, प्रधानमंत्री ने एक बार भी जवाब नहीं दिया। यह हकीकत है। इससे छिपा नहीं जा सकता।” विपक्ष का कहना है कि पीएम मोदी को इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए।

ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग 

यह चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब हाल ही में संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक के प्रावधानों पर विपक्षी सांसद की मांग पर मतदान हुआ। ऑपरेशन सिंदूर पर होने वाली इस बहस से देश और विदेश नीति से जुड़े कई अहम सवालों पर रोशनी पड़ने की उम्मीद है। संसद में इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श और सरकार के रुख पर सभी की निगाहें टिकी हैं।