पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि अगर राज्य में विशेष गहन संशोधन (SIR) के जरिए वास्तविक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए, तो वह अन्य देशों में जाकर भारतीय जनता पार्टी की सच्चाई दुनिया के सामने उजागर करेंगी। झारग्राम जिले में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर बंगाल और इसकी भाषा के खिलाफ अन्याय हुआ तो वह चुप नहीं रहेंगी और दुनिया को बताएंगी कि लोगों के अधिकारों का हनन कैसे हो रहा है।
ममता बनर्जी ने झारग्राम में भाषा आंदोलन रैली का नेतृत्व किया, जिसमें उन्होंने बीजेपी शासित राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासी श्रमिकों के खिलाफ कथित अत्याचारों का विरोध किया। उन्होंने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधा, जो चार सरकारी अधिकारियों को निलंबित कर चुका है। ममता ने कहा कि वह अपने अधिकारियों को दंडित नहीं करेंगी और पूछा कि बिना चुनाव की घोषणा के आयोग किस कानून के तहत कार्रवाई कर रहा है।
ममता के बयानों पर पलटवार
बीजेपी विधायक शंकर घोष ने ममता के बयानों पर पलटवार करते हुए कहा कि वह झूठ बोल रही हैं और नाटक कर रही हैं। उन्होंने दावा किया कि केवल बांग्लादेशी, रोहिंग्या, मृत मतदाताओं और डुप्लिकेट मतदाताओं के नाम ही सूची से हटाए जा रहे हैं। घोष ने सवाल उठाया कि एक संवैधानिक पद पर रहते हुए ममता आयोग जैसे संवैधानिक निकाय पर कैसे हमला कर सकती हैं।
चुनाव से पहले विवाद और गहराया
पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले यह विवाद और गहरा गया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का आरोप है कि बीजेपी एसआईआर के बहाने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने की कोशिश कर रही है। ममता ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी पर आयोग को कठपुतली की तरह इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया।





