राजस्थान की सियासत में शुक्रवार को उस समय भूचाल आ गया, जब बीजेपी ने राजधानी जयपुर जिला कार्यकारिणी की नई लिस्ट जारी की। यह लिस्ट जिला अध्यक्ष अमित गोयल के सोशल मीडिया अकाउंट से पोस्ट की गई थी। विवाद इसलिए बढ़ा क्योंकि लिस्ट में 34 पदाधिकारियों के नाम के साथ उन बड़े नेताओं के नाम भी लिखे गए थे, जिन्होंने उनकी सिफारिश की थी। इसमें मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम, मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के नाम शामिल थे। नौ कार्यकर्ताओं के नाम के आगे ‘कार्य के आधार पर’ पद देने की बात लिखी गई थी, जबकि बाकी के साथ उनके पैरोकारी नेताओं के नाम दर्ज थे।
सिफारिशकर्ताओं के नाम से बढ़ी परेशानी
कुछ ही देर में यह लिस्ट सोशल मीडिया से डिलीट कर दी गई, लेकिन तब तक यह वायरल हो चुकी थी। इससे बीजेपी के नेता और पदाधिकारी असहज हो गए। पार्टी दफ्तर में सन्नाटा छा गया और किसी ने भी मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दिया। जिला अध्यक्ष अमित गोयल ने सफाई देते हुए कहा कि ऑपरेटर की गलती से यह पोस्ट हो गई थी और सही लिस्ट बाद में जारी की जाएगी। लेकिन सवाल बना रहा कि आखिर सिफारिशकर्ताओं के नाम लिस्ट में क्यों डाले गए और इसे सार्वजनिक क्यों किया गया।
अंदरूनी नाराजगी और दबाव की अटकलें
बीजेपी के कुछ नेताओं का मानना है कि जिला अध्यक्ष पर बड़े नेताओं ने अपने चहेतों को पदाधिकारी बनाने के लिए इतना दबाव बनाया कि वे परेशान हो गए। कुछ का दावा है कि लगभग तीन चौथाई पद सिफारिश के आधार पर भरे गए, जिसके चलते जिलाध्यक्ष ने नाराज होकर बड़े नेताओं की पोल खोल दी। हालांकि इस पर पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। मामले ने संगठनात्मक पारदर्शिता और कार्यकर्ताओं की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
कांग्रेस का पलटवार, सियासत में गरमाहट
इस पूरे विवाद ने कांग्रेस को बीजेपी पर हमला करने का सुनहरा मौका दे दिया। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने कहा कि बीजेपी में अब पॉलिटिक्स सिर्फ पर्चियों पर चल रही है। उनका आरोप है कि आम कार्यकर्ताओं की कोई कद्र नहीं है और पद केवल ऊपर से थोपे जाते हैं। उन्होंने कहा कि संगठन में जिम्मेदारियां सिर्फ नाम के लिए दी जाती हैं और लोग अपनी मर्जी से कार्यकारिणी का सदस्य तक नहीं बन सकते। लिस्ट पर मचा यह बवाल आने वाले दिनों में राजस्थान की सियासत को और गरमा सकता है।





