Fri, Dec 26, 2025

Gita Updesh: भगवान श्री कृष्ण के अनुसार माता-पिता से बढ़कर नहीं होता कोई देवता, हमेशा करें सम्मान

Written by:Sanjucta Pandit
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आज के आर्टिकल में हम आपको गीता उपदेश में बताए गए कुछ ऐसी बातें बताएंगे, जो आपके जीवन के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से...
Gita Updesh: भगवान श्री कृष्ण के अनुसार माता-पिता से बढ़कर नहीं होता कोई देवता, हमेशा करें सम्मान

Gita Updesh : सनातन धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक श्रीमद्भगवद्गीता है, जिसमें मोक्ष की प्राप्ति के रास्ते बताए गए हैं। लोग इसमें दिए गए उपदेशों को अपनाकर अपना जीवन सरल बनाते हैं। इनमें दिए गए गीता उपदेशों को अपनाने वाला हर एक व्यक्ति नेक और अच्छा इंसान बनता है। बता दें कि इसमें धर्म योग, कर्म योग और ज्ञान योग के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है। दरअसल, गीता उपदेश भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को कुरुक्षेत्र की रणभूमि में दी गई थी, जब वह अपनों को युद्ध के लिए शास्त्र के साथ तैयार खड़े थे। तब वह काफी ज्यादा दुखी हो गए थे, तभी उन्होंने युद्ध न करने की चिंता माधव से जताई थी, जिसे दूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि अर्जुन को बिना फल की चिंता किए कर्म करते रहना चाहिए और यह क्षत्रिय होने के नाते उनका कर्तव्य है कि वह अपने राज्य को एक सुखी राज्य बनाएं और धर्मवीर राजा प्रदान करें। साथ ही उन्होंने अपने विश्वरूप को प्रकट कर उनके मन में सारी चल रही दुविधाओं को खत्म कर दिया। इसके बाद महाभारत का युद्ध आरंभ हुआ, जिसमें कई बड़े-बड़े शूरवीर योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए। वहीं, 18वें दिन पांचो पांडवों को कौरवों पर जीत हासिल हुई। जिसके बाद अखंड भारत का निर्माण हुआ। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको गीता उपदेश में बताए गए कुछ ऐसी बातें बताएंगे, जो आपके जीवन के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से…

हमेशा करें सम्मान

  • हिन्दू धर्म में माता-पिता को विशेष स्थान और सम्मान दिया गया है। माता-पिता को जीवित देवता माना जाता है क्योंकि वे हमें जन्म देते हैं, पालन-पोषण करते हैं, और हमें इस संसार में सही मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि माता-पिता की सेवा और आदर करना ही सबसे बड़ा धर्म है और इससे बड़ा कोई पुण्य नहीं है।
  • माता-पिता की सेवा और सम्मान से व्यक्ति को धरती पर ही स्वर्ग का सुख प्राप्त होता है और इससे बड़ा कोई पुण्य नहीं माना गया है। शास्त्रों में यह भी उल्लेख है कि जो व्यक्ति अपने माता-पिता की सेवा करता है, उसे भगवान की कृपा प्राप्त होती है और उसका जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण रहता है।
  • इसके अतिरिक्त, माता-पिता का सम्मान करना और उनकी सेवा करना व्यक्ति की नैतिक और धार्मिक जिम्मेदारी मानी जाती है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)