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Sun, Dec 21, 2025

Hindu Rituals: विवाह में क्यों किया जाता है कन्यादान, जानें इसका सही अर्थ

Written by:Bhawna Choubey
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Hindu Rituals: विवाह में क्यों किया जाता है कन्यादान, जानें इसका सही अर्थ

Hindu Rituals: हिंदू धर्म में विवाह के दौरान माता पूजन से लेकर विदाई तक कई रस्में में निभाई जाती है। हर रस्म का अपना अलग महत्व है और सभी की अपनी-अपनी अलग-अलग मान्यताएं हैं। ऐसा कहा जाता है कि हर रस्म को विधि विधान से पूरा करना चाहिए, ऐसा करने से वर और वधु दोनों का जीवन अच्छा चलता है। शादियों में होने वाली रस्मों में एक रस्म कन्यादान की भी है, क्या आपने कभी सोचा है कि इस रस्म का क्या मतलब होता है। अगर नहीं तो आज हम आपको इस लेख के द्वारा इस रस्म के बारे में बताएंगे, तो चलिए जानते हैं।

विवाह के दौरान होने वाली सभी रस्मों में कन्यादान की रस्म सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। जैसा कि यह नाम से ही समझ आ रहा है कि कन्यादान का मतलब कन्या का दान करना। यह दान सर्वश्रेष्ठ दान होता है। इस रस्म के दौरान हर पिता अपनी बेटी का हाथ वर के हाथ में सौंपता, इस रस्म के बाद दूल्हा ही दुल्हन की सारी जिम्मेदारियां उठाता है और निभाता है। कन्यादान की रस्म एक माता-पिता के लिए बहुत कष्टकारी होती है क्योंकि उन्हें अपने जिगर के टुकड़े को किसी और को सौंपना होता है। यह रस्म पिता और बेटी के भावनात्मक रिश्ते को दर्शाती है।

क्या हैं कन्यादान का महत्व?

शास्त्रों में कन्यादान को महादान बताया गया है। यानी यह सर्वश्रेष्ठ दान होता है इससे बड़ा दान जीवन में कोई नहीं होता है। विवाह के दौरान जब कन्या के माता-पिता कन्यादान करते हैं तो इससे उनके परिवार को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कन्यादान एक ऐसी रस्म होती है, जिसके बाद बेटी का अपना घर खुद का घर पराया हो जाता हैं और मायका कहलाता है। वहीं, उसका ससुराल ही फिर उसका घर होता है। कन्यादान के बाद कन्या पर पिता का नहीं बल्कि उसके पति का ज्यादा अधिकार होता है।

विवाह में क्यों किया जाता है कन्यादान?

विवाह में दूल्हे को भगवान विष्णु और दुल्हन को मां लक्ष्मी का दर्जा दिया जाता है। घर की लक्ष्मी के अलावा कन्या को देवी अन्नपूर्णा भी माना जाता है। विवाह में दूल्हे को विष्णु रूप इसलिए बताया जाता है क्योंकि विवाह के समय वह कन्या के पिता को यह विश्वास दिलाता है कि वह उम्र भर उनकी बेटी को खुश रखेगा और उसकी पूरी जिम्मेदारी निभाएगा। ऐसा भी कहा जाता है कि जिन माता-पिता को कन्यादान करने का मौका मिलता है, वह बहुत सौभाग्यशाली होते हैं। इस रस्म का यह मकसद भी होता है कि पति और पत्नी दोनों ही अपने रिश्ते परिवार को चलाने के लिए बराबर का सहयोग देंगे।