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Thu, Dec 18, 2025

भगवान की इच्छा से सब कुछ होता है, फिर क्यों भुगतते हैं हम फल? जानें प्रेमानंद जी महाराज ने क्या बताया

Written by:Bhawna Choubey
Published:
प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Maharaj) ने बताया कि सब कुछ भगवान की इच्छा से होता है, लेकिन हमारे कर्मों के फल हमें खुद ही भोगने पड़ते हैं. भगवान की इच्छा और हमारे कर्मों के बीच का संतुलन समझना जरूरी है, जो हमें सही दिशा में मार्गदर्शन देता है.
भगवान की इच्छा से सब कुछ होता है, फिर क्यों भुगतते हैं हम फल? जानें प्रेमानंद जी महाराज ने क्या बताया

दुनिया में शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा होगा जिसे प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Maharaj) की बारे में नहीं पता होगा. लोग अपने मन की उलझनों को सुलझाने के लिए दूर-दूर से प्रेमानंद जी महाराज के पास आते हैं. आम लोग ही नहीं बल्कि प्रेमानंद जी महाराज के पास बड़े बड़े सेलिब्रिटी, राजनेता और क्रिकेटर तक अपने मन की उलझनों को सुलझाने के लिए आते हैं, उनके सत्संग में हमेशा भारी संख्या में भक्त श्रद्धालु नज़र आते हैं.

सोशल मीडिया पर भी हर दिन प्रेमानंद जी महाराज की कोई न कोई रील या फिर क्लिप हमें ज़रूर देखने को मिलती है. जो लोग प्रेमानंद जी महाराज के सत्संग में नहीं पहुँच पाते हैं, वे वीडियो के ज़रिए ही अपनी समस्या का समाधान ढूंढ लेते हैं. सोशल मीडिया पर भी प्रेमानंद जी महाराज से लाखों श्रद्धालु जुड़े हुए हैं, जो रोज़ाना उनकी वीडियो देखते रहते हैं. प्रेमानंद जी महाराज के द्वारा सरल शब्दों में दिया गया समाधान न सिर्फ़ बड़े बल्कि बच्चे तक को आसानी से समझा जाता है.

भगवान की इच्छा से सब कुछ होता है, फिर क्यों भुगतते हैं हम फल?

सत्संग में आने वाले लोग अक्सर प्रेमानंद जी महाराज सिंह अपनी ज़िंदगी से जुड़े कोई न कोई प्रश्न पूछते रहते हैं, इसी के चलते एक बार एक महिला ने प्रेमानंद जी महाराज से पूछा, कि महाराज जी हम अक्सर ऐसा सुनते हैं कि भगवान की इच्छा की अनुसार ही जीवन में सब कुछ होता है. भगवान की रक्षा के बिना संसार का एक पत्ता भी नहीं हिल पाता है. महिला ने आगे कहा कि अगर सब कुछ इस संसार में भगवान की मर्ज़ी से ही होता है तो फिर हमें यानी इंसानों को क्यों फल भोगना पड़ता है फिर चाहे वह अच्छा हो या बुरा. चलिए जानते हैं प्रेमानंद जी महाराज ने महिला के इस प्रश्न का क्या उत्तर दिया.

प्रेमानंद जी महाराज का सुन्दर उत्तर

प्रेमानंद जी महाराज ने महिला की प्रश्नों का बेहद ही सुंदर देते हुए कहा, उन्होंने कहा कि अगर आप अपनी मर्ज़ी और इच्छाओं के मुताबिक़ फल पाने की आशा नहीं करेंगे तो आपको कभी भी उदास नहीं होना पड़ेगा न ही कभी आपको बुरा परिणाम भुगतने पड़ेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि जो भी विचार आपके मन में आते हैं वे भगवान की मर्ज़ी नहीं होती है वे आपकी अपनी ख़ुद की मर्ज़ी होती है. हर व्यक्ति का कर्म उसके अपने पास ही होता है, जो भी विचार आपके मन में आ रही है और आप जिस भी विचार के अनुसार कर्म कर रहे है, वह भगवान की मर्ज़ी नहीं है बल्कि इसके लिए आप ख़ुद ज़िम्मेदार है.

अहंकार और कर्मों का प्रभाव

प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने मन में अहंकार लेकर नहीं चलना चाहिए, जब तक इंसान का मन और अहंकार नहीं टूटता तब तक भगवान की सच्ची समझ नहीं मिलती, अच्छा कर्म करेंगे तो अच्छा फल प्राप्त होगा और बुरा कर्म करेंगे, तो बुरा फल ही प्राप्त होगा, अगर आपके साथ कभी बुरा हो रहा है तो इसका यह मतलब नहीं है कि यह सब कुछ भगवान की मर्ज़ी है हो सकता है आपकी गर्म अच्छे हैं हो सकता है आपकी पिछले जन्म के कर्म बहुत अच्छे हैं.