उत्तराखंड राजभवन ने राज्य सरकार द्वारा भेजे गए दो महत्वपूर्ण विधेयकों को वापस लौटा दिया है। राज्यपाल गुरमीत सिंह ने समान नागरिक संहिता (UCC) और धर्म परिवर्तन रोकथाम (संशोधन) विधेयक को मंजूरी देने के बजाय सरकार के पास पुनर्विचार के लिए भेजा है। राजभवन के इस कदम के बाद प्रशासनिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गईं, लेकिन सरकार ने तुरंत स्थिति साफ कर दी है।
आजतक चैनल की रिपोर्ट के अनुसार इन विधेयकों को लौटाने के पीछे कोई नीतिगत मतभेद नहीं है, बल्कि इनके ड्राफ्ट में कुछ ‘लिपिकीय त्रुटियां’ (Clerical Errors) पाई गई थीं। सरकार का कहना है कि इन तकनीकी खामियों को दूर करने के बाद विधेयकों को दोबारा मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
धर्मांतरण कानून में क्या थी दिक्कत?
CMO सूत्रों के मुताबिक, राज्य में कठोर धर्मांतरण कानून पहले से ही अस्तित्व में है। सरकार ने इसमें कुछ और सख्त प्रावधान जोड़ने के लिए संशोधन विधेयक तैयार किया था। हालांकि, राजभवन ने जब ड्राफ्ट की समीक्षा की, तो उसमें कुछ टाइपिंग और तकनीकी गलतियां मिलीं।
इन्हीं खामियों को सुधारने के लिए राजभवन ने विधेयक को प्रशासकीय विभाग यानी धर्मस्व एवं संस्कृति विभाग को वापस भेज दिया है। विभाग अब इन त्रुटियों को ठीक करेगा और संशोधित ड्राफ्ट को दोबारा राजभवन के अनुमोदन के लिए भेजेगा। मंजूरी मिलने के बाद इसे अध्यादेश के जरिए लागू करने की योजना है।
UCC संशोधन में भी तकनीकी पेंच
समान नागरिक संहिता (UCC) के मामले में भी स्थिति लगभग ऐसी ही है। उत्तराखंड में यूसीसी पहले ही लागू हो चुका है, जिसमें विवाह पंजीकरण अनिवार्य है। सरकार ने विवाह पंजीकरण के लिए दी गई एक साल की समय-सीमा को बढ़ाने के लिए एक संशोधन विधेयक राजभवन भेजा था।
इस संशोधन विधेयक के ड्राफ्ट में भी लिपिकीय त्रुटि पाई गई। इस वजह से राज्यपाल ने इसे भी लौटा दिया। अब गृह विभाग इन कमियों को दूर कर संशोधित विधेयक को दोबारा अनुमोदन के लिए भेजेगा।
कठोर सजा के नए प्रावधान
गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार ने UCC और धर्मांतरण कानूनों को और सख्त बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं। जनवरी 2024 में UCC पारित होने के बाद, अगस्त 2025 के मॉनसून सत्र में इसमें संशोधन किए गए थे। नए संशोधनों के तहत:
- पहले से शादीशुदा होते हुए लिव-इन रिलेशनशिप में रहने पर सात साल तक की सजा का प्रावधान है।
- धोखाधड़ी या दबाव में लिव-इन में रहने पर भी समान दंड तय किया गया है।
- UCC में नई धारा 390-A जोड़ी गई है, जो रजिस्ट्रार जनरल को विवाह, तलाक और उत्तराधिकार जैसे रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार देती है।
वहीं, धर्मांतरण कानून (जो 2018 में बना और 2022 में संशोधित हुआ) में 2025 में फिर बदलाव प्रस्तावित हैं। नए प्रस्ताव के तहत जबरन धर्मांतरण के मामलों में सजा को 10 साल से बढ़ाकर उम्रकैद तक करने की तैयारी है।





