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Tue, Dec 16, 2025

Radha Ashtami 2025: राधा रानी का जन्म हुआ था साधारण नहीं, जानें अद्भुत कथा और छुपा महत्व

Written by:Bhawna Choubey
Published:
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Radha Ashtami 2025: राधा अष्टमी 2025 पर जानें राधा रानी के जन्म की रहस्यमयी कथा, व्रत का महत्व और धार्मिक मान्यताएं। इस दिन उपवास और पूजा करने से भक्तों को मिलता है व्रत का पूर्ण फल और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद। जानिए पूरी व्रत कथा और इसका महत्व।
Radha Ashtami 2025: राधा रानी का जन्म हुआ था साधारण नहीं, जानें अद्भुत कथा और छुपा महत्व

हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। इस साल यह पावन पर्व 31 अगस्त 2025, रविवार को मनाया जाएगा। माना जाता है कि इसी दिन श्री राधा रानी का प्रकटोत्सव हुआ था, जो भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य प्रेयसी और भक्ति की पराकाष्ठा का प्रतीक मानी जाती हैं।

राधा अष्टमी का दिन न केवल व्रत और उपवास का है, बल्कि यह दिन भक्ति, प्रेम और आस्था से भी गहराई से जुड़ा है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, मंदिरों में राधा-कृष्ण के भजनों का आयोजन होता है और राधा रानी की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भक्तों को न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी आती है।

राधा अष्टमी का महत्व और कथा

राधा रानी का जन्म और रहस्य

राधा अष्टमी का सबसे बड़ा आकर्षण है राधा रानी के जन्म की कथा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, राधा जी का जन्म बरसाना में हुआ था। कहा जाता है कि वृषभान जी और उनकी पत्नी कीर्ति देवी को पुत्री के रूप में राधा मिलीं। लेकिन राधा जी का जन्म रहस्यमयी था क्योंकि जन्म के समय उनकी आंखें बंद थीं और बाद में भगवान श्रीकृष्ण के स्पर्श से उन्होंने नेत्र खोले। इसी वजह से राधा को भक्ति और प्रेम की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।

व्रत करने का महत्व

राधा अष्टमी पर व्रत और उपवास का विशेष महत्व है। महिलाएं और पुरुष दोनों ही इस दिन उपवास रखते हैं और राधा-कृष्ण की आराधना करते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के जीवन से न केवल दुख-दर्द दूर होते हैं, बल्कि वैवाहिक जीवन में सुख और प्रेम भी बढ़ता है। शास्त्रों में कहा गया है कि राधा रानी का पूजन करने से भक्त को भगवान कृष्ण की कृपा स्वतः मिलती है।

पूजा विधि और मान्यताएं

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जाता है। राधा-कृष्ण की मूर्तियों को फूलों से सजाया जाता है और भोग अर्पित किया जाता है। राधा जी को सफेद वस्त्र, फूल, मिश्री और दही का भोग विशेष रूप से प्रिय है। भक्त दिनभर व्रत रखते हैं और रात को कथा सुनकर व्रत का पारायण करते हैं। रात को कीर्तन और भजन का आयोजन भी होता है। ‘राधे-राधे’ नाम का जप करने से मन और आत्मा शांति का अनुभव करती है।