उत्तरप्रदेश विधानसभा में शीतकालीन सत्र की कार्यवाही जारी है। आज सोमवार को सदन में वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर विशेष चर्चा की गई, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वंदे मातरम के ऐतिहासिक महत्व को उजागर किया। सीएम ने कहा कि वंदे मातरम सिर्फ एक गाना नहीं था, बल्कि यह भारत के क्रांतिकारियों के लिए एक मंत्र था। सन 1905 में जब ब्रिटिश सरकार ने बंगाल के बंटवारे की नींव रखने की कोशिश की, तो जनता ने वंदे मातरम को उनके खिलाफ़ एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। वंदे मातरम सत्याग्रह का गाना बन गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने वंदे मातरम को राष्ट्रीय भावना कहा था। यह गीत राष्ट्रवाद की भावनाओं से भर देता है। आजादी के बाद 24 जनवरी 1950 को वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत बनाया गया था। इसी दिन यूनाइटेड प्रोविंस को उत्तर प्रदेश के रूप में मान्यता मिली थी।
विधानसभा में वंदे मातरम को लेकर कांग्रेस पर बरसे सीएम योगी
सीएम योगी ने सदन में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि वंदे मातरम कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति का पहला और सबसे बड़ा शिकार बना। क्या वंदे मातरम को दो छंदों तक सीमित करना धार्मिक मजबूरी का नतीजा था या राष्ट्रीय चेतना के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश थी? वंदे मातरम के शताब्दी समारोह के दौरान कांग्रेस ने इमरजेंसी लगाकर गला घोंट दिया था। आज वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं। आज पूरी दुनिया के सामने भारत विकसित भारत की संकल्पना के साथ आगे बढ़ रहा है।
सीएम योगी ने वंदे मातरम को बताया भारतीयों की परंपरा
सीएम ने कहा कि यह चर्चा जरूरी है क्योंकि इतिहास सिर्फ तथ्यों का कलेक्शन नहीं है, बल्कि एक चेतावनी भी है क्योंकि नई पीढ़ी को सच जानने का हक है। राष्ट्रगीत सिर्फ एक गीत नहीं है, बल्कि हम भारतीयों के लिए एक पवित्र परंपरा भी है। जिन लोगों ने 1937-38 में देश की कीमत पर समझौता किया और जो लोग आज जाने-अनजाने में वंदे मातरम का विरोध और बॉयकॉट कर रहे हैं उन्हें इस देश के लोगों से माफी मांगनी चाहिए।
जिन्ना ने वंदे मातरम को बदलने की उठाई थी मांग- सीएम योगी
उन्होंनें कहा कि जब तक जिन्ना कांग्रेस में थे वंदे मातरम झगड़े का कोई अहम मुद्दा नहीं था। जैसे ही उन्होंने कांग्रेस छोड़ी, जिन्ना ने इसे मुस्लिम लीग का टूल बना लिया और जानबूझकर गाने को कम्युनल रंग दिया। गाना वही रहा लेकिन एजेंडा बदल गया।
सीएम योगी ने कहा कि 15 अक्टूबर 1937 को लखनऊ में मोहम्मद अली जिन्ना ने वंदे मातरम के खिलाफ आवाज उठाई और उस समय पंडित नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष थे। 20 अक्टूबर 1937 को नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस को एक लेटर लिखा और कहा कि बैकग्राउंड मुसलमानों को असहज कर रहा है। 26 अक्टूबर 1937 को कांग्रेस ने गाने के कुछ हिस्सों को हटाने का फैसला किया। इसे गुडविल का इशारा कहा गया, जबकि असल में यह तुष्टिकरण का पहला ऑफिशियल उदाहरण था। ‘देशभक्तों’ ने इसका विरोध किया। जिन्ना ने गाने को बदलने की मांग उठाई। उस समय कांग्रेस इस पर चुप रही, क्योंकि नतीजा यह हुआ कि मुस्लिम लीग को हिम्मत मिली। इससे भारत के बंटवारे की नींव पड़ी।
उत्तर प्रदेश विधान सभा के ‘शीतकालीन सत्र-2025’ में मेरा संबोधन… https://t.co/9p7PpQbpVX
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) December 22, 2025





