कैराना से सांसद इकरा हसन और सहारनपुर के अपर जिलाधिकारी (एडीएम) संतोष बहादुर सिंह के बीच एक प्रशासनिक विवाद बढ़ गया है। सांसद ने एडीएम पर दुर्व्यवहार और ‘गेट आउट’ कहने का आरोप लगाया है। जबकि एडीएम ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। मामला 1 जुलाई 2025 का है, जिसे लेकर अब मंडलायुक्त ने डीएम को जांच के आदेश दिए हैं।
क्या है मामला?
सांसद इकरा हसन के अनुसार वह 1 जुलाई को नगर पंचायत छुटमलपुर से जुड़ी समस्याएं लेकर वहां की चेयरपर्सन के साथ एडीएम संतोष बहादुर सिंह के दफ्तर पहुंचीं थीं। पहले फोन पर उन्हें बताया गया कि एडीएम लंच पर हैं और पत्राचार के जरिए समस्याएं भेजने को कहा गया।
लंच के बाद जब सांसद कार्यालय पहुंचीं, तो एडीएम उनसे मिलने देरी से पहुंचे। सांसद का आरोप है कि एडीएम का व्यवहार बेहद अपमानजनक था। उन्होंने नगर पंचायत अध्यक्ष को डांटा। जब सांसद ने हस्तक्षेप कर समस्या सुनने की बात कही, तो एडीएम भड़क गए। कथित तौर पर कहा, “यह कार्यालय मेरा है, मैं जो चाहूं कर सकता हूं।” इसके बाद सांसद को “गेट आउट” कहकर बाहर निकालने की कोशिश की गई। इकरा हसन ने इसे “टंग ऑफ स्लिप” कहकर टालने की एडीएम की कोशिश को भी अस्वीकार्य बताया।
DM ने बताया कि वह मीटिंग में थे
दूसरी ओर, एडीएम संतोष बहादुर सिंह ने सांसद के आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि 1 जुलाई को वे फील्ड में थे। उन्हें करीब 3 बजे जानकारी मिली कि सांसद उनके कार्यालय में आई हैं। सूचना मिलते ही वे तुरंत दफ्तर पहुंचे, लेकिन तब तक सांसद जा चुकी थीं। एडीएम के मुताबिक, उन्होंने खुद सांसद को फोन कर बताया कि वे लौट आए हैं। जब सांसद दोबारा आईं तो उन्होंने फोन न उठाने की बात पर सवाल किया। जिस पर एडीएम ने स्पष्ट किया कि वे मीटिंग में थे। उनका फोन वाइब्रेशन पर था।
एडीएम ने बताया कि सांसद ने छुटमलपुर नगर पंचायत और वहां की अध्यक्षा से जुड़े निजी मामले उठाए। इस पर उनसे लिखित शिकायत मांगी गई, लेकिन कोई पत्र उन्हें नहीं दिया गया। एडीएम का कहना है कि “ऐसा कोई अपमानजनक संवाद नहीं हुआ, जैसा सांसद ने दावा किया है। मैंने कभी ‘गेट आउट’ नहीं कहा। मैं एक लोकसेवक हूं और अपने कर्तव्यों से भलीभांति परिचित हूं।”
ADM ने आरोपों को किया खारिज
साथ ही, एडीएम ने नगर पंचायत अध्यक्ष के उस आरोप को भी नकारा जिसमें उन्होंने कहा कि एडीएम उनकी बात नहीं मानते। संतोष बहादुर सिंह ने कहा कि नगर निकाय की योजनाएं अध्यक्ष की मंज़ूरी से ही आगे बढ़ती हैं। ऐसे में उनके आदेश की अवहेलना संभव ही नहीं। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए मंडलायुक्त ने जिलाधिकारी को इस पूरे विवाद की जांच करने के निर्देश दिए हैं। आने वाले दिनों में रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।





