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Thu, Dec 18, 2025

अजाक्स की तर्ज पर अब ‘सजाक्स’ का गठन, सामान्य-ओबीसी कर्मचारियों ने पदोन्नति और एट्रोसिटी एक्ट पर की 14 सूत्रीय मांग

Reported by:Jitendra Yadav|Edited by:Banshika Sharma
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मध्य प्रदेश में सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारियों ने अपने अधिकारों के लिए 'सजाक्स' नामक नए संगठन के गठन का ऐलान किया है। भोपाल में आयोजित विचार गोष्ठी में कर्मचारियों ने पदोन्नति में रुकावट और एट्रोसिटी एक्ट के दुरुपयोग को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है।
अजाक्स की तर्ज पर अब ‘सजाक्स’ का गठन, सामान्य-ओबीसी कर्मचारियों ने पदोन्नति और एट्रोसिटी एक्ट पर की 14 सूत्रीय मांग

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मंगलवार को सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारियों की एक महत्वपूर्ण विचार गोष्ठी संपन्न हुई। तुलसी नगर स्थित सेकंड स्टॉप पर आयोजित इस बैठक में कर्मचारियों ने अपनी दयनीय स्थिति पर चिंता जताते हुए एक बड़ा निर्णय लिया है। एससी-एसटी वर्ग के संगठन ‘अजाक्स’ (AJAKS) की तर्ज पर अब ‘सजाक्स’ (SAJAKS) संगठन का गठन किया जाएगा। इस नए संगठन का पूरा नाम ‘सनातनी सामान्य ओबीसी अल्पसंख्यक जाति अधिकारी कर्मचारी पेंशनर्स संघ’ रखा गया है।

बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इंजीनियर सुधीर नायक को इस संगठन के गठन के लिए अधिकृत किया गया है। यह संगठन ग्राम पंचायत से लेकर नगरीय निकाय स्तर तक अपनी सक्रिय शाखाएं फैलाएगा। वक्ताओं का कहना था कि एससी-एसटी वर्ग की तरह ही यह संगठन भी जमीनी स्तर पर त्वरित और तीव्र प्रतिक्रिया देगा।

पदोन्नति न मिलने से भारी आक्रोश

गोष्ठी में शामिल वरिष्ठ कर्मचारी नेताओं ने एक स्वर में कहा कि प्रदेश में सामान्य और ओबीसी वर्ग के कर्मचारियों की स्थिति अब ‘दशा’ से ‘दुर्दशा’ में बदल चुकी है। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि पिछले एक दशक से पदोन्नति पर अघोषित रोक लगी हुई है। हाईकोर्ट के फैसलों के बावजूद, सरकार एससी-एसटी वर्ग की नाराजगी के डर से सामान्य और ओबीसी वर्ग को पदोन्नति नहीं दे रही है।

आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया गया कि पिछले 10 वर्षों में एक लाख से अधिक कर्मचारी बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो गए हैं। कर्मचारियों का तर्क है कि प्रदेश की आबादी में सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग की हिस्सेदारी 64 प्रतिशत है, लेकिन 36 प्रतिशत आबादी वाला वर्ग उन पर हावी है।

सजाक्स की प्रमुख मांगें और उद्देश्य

नवगठित संगठन ‘सजाक्स’ ने सरकार के सामने 14 सूत्रीय मांगें रखी हैं, जिनमें प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:

1. पदोन्नति और पेंशन: वर्ष 2016 से बिना पदोन्नति रिटायर हुए कर्मचारियों को भूतलक्षी प्रभाव से पदोन्नति देकर पेंशन का पुनर्निर्धारण किया जाए।

2. क्रीमी लेयर: एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर और उपवर्गीकरण को तत्काल लागू किया जाए।

3. एट्रोसिटी एक्ट: सामान्य वर्ग के लिए भी ‘एट्रोसिटी एक्ट’ जैसा कानून लागू हो और एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग को रोका जाए।

4. धर्मांतरण पर रोक: सनातन धर्म छोड़कर अन्य धर्म अपनाने वाले एससी-एसटी वर्ग के लोगों का आरक्षण समाप्त किया जाए।

5. आरक्षण की समीक्षा: शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में आरक्षण समाप्त कर केवल योग्यता के आधार पर नियुक्तियां हों। निजी क्षेत्र में आरक्षण किसी भी सूरत में लागू न हो।

वरिष्ठों का मिलेगा संरक्षण

संगठन ने तय किया है कि पूर्व मंत्रियों, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों को संरक्षक और मार्गदर्शक बनाया जाएगा। बैठक में यह भी चर्चा हुई कि सामान्य वर्ग के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज होने पर अब संगठन चुप नहीं बैठेगा और हर गांव-कस्बे से तीखी प्रतिक्रिया दी जाएगी।

इस विचार गोष्ठी में मंत्रालय संघ के सुधीर नायक, राजपत्रित अधिकारी संघ के इंजीनियर अशोक शर्मा, अनिल तिवारी, आलोक वर्मा, राजकुमार पटेल सहित निगम मंडल और अन्य कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।