Tue, Dec 30, 2025

MP School : राज्य शिक्षा केंद्र की बड़ी तैयारी, 1 से 8वीं तक के बच्चों को मिलेगा लाभ

Written by:Kashish Trivedi
Published:
MP School : राज्य शिक्षा केंद्र की बड़ी तैयारी, 1 से 8वीं तक के बच्चों को मिलेगा लाभ

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (MP) के सरकारी स्कूल (MP School) में नवीन तैयारी की गई है। दरअसल राज्य शासन की तरफ से सरकारी स्कूलों को लेकर नए नियम तय किए जा रहे हैं। नए नियम के मुताबिक अब बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए उन्हें स्थानीय बोली (regional dialect) में पाठ पढ़ाया जाएगा। इस मामले में राज्य शिक्षा केंद्र (state education center) द्वारा तैयारी पूरी कर ली गई है।

दरअसल नई शिक्षा नीति के तहत MP School 1 से 8वीं तक के बच्चों को लेकर बड़ी तैयारी की गई है। अब सरकारी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के साथ ने स्थानीय बोली में पाठ पढ़ाया जाएगा। मध्यप्रदेश के विभिन्न अंचलों में बोली जाने वाली कई क्षेत्रीय बोलियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों में मालवी, निवाड़ी, बुंदेलखंडी और बघेली बोली जाती है। इसके अलावा आदिवासी क्षेत्रों में कोरकू, भीली, सहरिया , बैगा, भिलाला, बारेली और गोंडी आदि बोलियां बोली जाती है।

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अब राज्य शिक्षा केंद्र की तैयारी प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों को अंग्रेजी हिंदी भाषा के साथ स्थानीय भाषा का ज्ञान देने की भी है। मामले में अधिकारियों का कहना है कि इस प्रयोग का उद्देश्य बच्चों को स्थानीय बोली से जुड़ाव बनाए रखने का है ताकि उन्हें अपनी पारंपरिक कला और संस्कृति में रुचि आए और वह इसे आगे लेकर जाएं। वही इस पहल के तहत राज्य शिक्षा केंद्र स्कूली बच्चों के लिए कहानी उत्सव स्थानीय बोली प्रतियोगिता भी आयोजित करवाएगा इसके लिए स्कूल शिक्षा केंद्र द्वारा शिक्षण सामग्री तैयार करने की कवायद शुरू कर ली गई है।

राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा शिक्षकों को विभिन्न निर्देश दिए गए हैं। जहां उन्हें इलाकों में भेजकर स्थानीय बोली में पठन-पाठन रोचक कहानियों का ऑडियो वीडियो तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा प्रदेश के करीब 1 लाख प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में यह अभियान शुरू किया जाएगा।

राज्य शिक्षा केंद्र के उपसंचालक और नियंत्रक पाठ्यक्रम अशोक पारेख का कहना है कि बच्चे स्कूल का पाठ्यक्रम आसानी से समझ पाए। इस कारण उनकी भाषा का रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है। पिछड़े इलाकोंको में 1 से 8वीं तक के कक्षा के बच्चों को उनकी भाषा में शिक्षा दी जाए तो यह ज्यादा सरल और सहज होगा और उनके लिए इसे अपने अंदर आत्मसात करना और भी ज्यादा सरल हो जाएगा।

वहीं स्कूलों में शिक्षण सामग्री तैयार करने स्थानीय जनता की भूमिका प्रमुख होगी स्थानीयता को मुख्य रूप से महत्व दिया जा रहा है वहीं स्थानीय बोली में कहानी और कविताओं का ऑडियो वीडियो संग्रहित किया जा रहा है जिसके माध्यम से बच्चों को रेडियो और डिजिलैप के जरिए पाठ पढ़ाया जाएगा।