Fri, Dec 26, 2025

Google Doodle Bhupen Hazarika : ओ गंगा बहती हो क्यूं? प्रसिद्ध कवि और लेखक भूपेन हजारिका को गूगल का डूडल समर्पित

Written by:Kashish Trivedi
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Google Doodle Bhupen Hazarika : ओ गंगा बहती हो क्यूं? प्रसिद्ध कवि और लेखक भूपेन हजारिका को गूगल का डूडल समर्पित

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। मशहूर कंपनी गूगल (Google) ने आज अपना डूडल (Today Google doodle) भारत के प्रसिद्ध कवि भूपेन हजारिका (Indian poet bhupen hazarika) को समर्पित किया है। आसाम के रहने वाले हजारिका कवि होने के साथ-साथ लेखक संगीत का अभिनेता और निर्माता भी थे। उन्होंने आसाम और उत्तर पूर्व भारत के लोक संगीत को ना केवल सुरक्षित रखा बल्कि वे इन्हें भारतीय सिनेमा (Indian cinema) के पटल तक भी लेकर आए।

8 सितंबर 1926 को जन्मे भूपेन के पिताजी का नाम नीलकांत और माता का नाम शांतिप्रिया था। ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसे सदिया गांव में इनका जन्म हुआ। भूपेन 10 भाई बहनों में सबसे बड़े थे। भूपेन ने अपना बचपन गुवाहाटी, धुबरी और तेजपुर में बिताया। मां की लोरियां से प्रभावित भूपेन की जिंदगी में तब बदलाव आया जब वह तेजपुर में मशहूर लेखक और फिल्म निर्माता ज्योति प्रसाद अग्रवाल से मिले। 1939 में 12 साल की उम्र में हजारिका ने इंद्रमालती फिल्म में 2 गाने गाए। 14 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला गाना ओगनि जुगोर फिरिंगोटी मोई लिखा जिसे काफी पसंद किया गया और यहां से शुरू हुआ लेखक, संगीतकार और गायक भूपेन हजारिका का जन्म।

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हजारिका ने अपनी पढ़ाई की शुरुआत गुवाहाटी से की। गुवाहाटी से जाने के बाद धुबरी और फिर तेजपुर में उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में m.a. करने के बाद हजारिका ने कुछ समय ऑल इंडिया रेडियो में भी काम किया। आगे की पढ़ाई के लिए आचार्य का ने न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी की ओर अपना रुख किया। यहां से हजारिका ने संगीत को एक सामाजिक बदलाव के लिए कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है इस बात को और गहराई से सीखा। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में उनकी मुलाकात प्रियंवदा पटेल से हुई जिनसे 1950 में उन्होंने शादी की। 1953 में वह अपनी बीवी और बच्चे के साथ वापस भारत लौट आए।

विदेश से लौटने के बाद हजारिका ने कुछ साल गुवाहाटी यूनिवर्सिटी में एक शिक्षक के रूप में काम किया। कुछ समय बाद ही उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दिया और कोलकाता में जाकर संगीत और फिल्म निर्माण की दिशा में आगे बढ़ गए। शकुंतला और प्रतिध्वनि जैसी मशहूर फिल्में बनाकर भूपेन सिनेमा जगत में अपना सिक्का मजबूत कर चुके थे। आपको बता दें भूपेन हजारिका ने ना केवल भारतीय बल्कि बांग्लादेशी फिल्मों के लिए भी संगीत निर्माण किया है।

1960 के दशक में भूपेन हजारिका ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। नव बाईचा विधानसभा आसाम से 1967–72 के बीच हजारिका विधायक रहे। 2004 में भारतीय जनता पार्टी के बैनर के तले गोहाटी विधानसभा क्षेत्र से हजारिका ने चुनाव लड़ा जिसे वह हार गए। वर्ष 2011 नवंबर में 85 साल की उमर में मल्टी ऑर्गन फैलियर के चलते हजारिका की मृत्यु हुई। ‌

आपको बता दें वर्ष 1975 में चमेली मेमसाब फिल्म के लिए भूपेन हजारिका को 23वें नेशनल फिल्म अवार्ड से नवाजा गया। इसके बाद भारतीय सरकार द्वारा उन्हें वर्ष 1977 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 1987 में संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, 1992 में दादा साहब फाल्के अवार्ड, 2001 में पद्म भूषण, 2009 में असम राज्य का असोम रत्न, और वर्ष 2012 मे पद्म विभूषण सम्मान से उन्हें नवाजा गया। वर्ष 2013 और 2016 में भारतीय पोस्ट द्वारा हजारिका के सम्मान में पोस्टेज स्टैंप निकाले गए। वर्ष 2019 में हजारिका को मृत्यु उपरांत भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। इतना ही नहीं ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी लोहित के ऊपर बने ढोला सदिया बृज आज भूपेन हजारिका ब्रिज के नाम से जाना जाता है।

हजारिका के महत्वपूर्ण गाने

जिन प्रमुख फिल्मों में हजारिका ने अपना प्लेबैक किया वे रही इंद्रमालती, पियोली फुकान, एरा बतोर सुर, आरोप, चमेली मेमसाब, देबदास, अपारूपा, रूदाली, दरमियान, साज, गज गामिनी, दमन, चिंगारी, गांधी तो हिटलर।