कैंसर का जल्दी पता चलना इलाज को आसान बनाता है, खासकर महिलाओं में। कुछ संकेत, जैसे असामान्य ब्लीडिंग या लगातार थकान, को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। ब्रेस्ट, सर्वाइकल, और ओवेरियन जैसे कैंसर्स के 11 चेतावनी लक्षणों को जानना हर महिला के लिए जरूरी है। समय रहते जांच और जागरूकता से सेहत को प्रोटेक्ट किया जा सकता है।
ब्रेस्ट में गांठ या असामान्य ब्लीडिंग जैसे संकेत सबसे कॉमन हैं। ब्रेस्ट कैंसर में स्किन टेक्सचर में बदलाव या निपल से डिस्चार्ज दिख सकता है। सर्वाइकल कैंसर में पीरियड्स के बाहर ब्लीडिंग या सेक्स के बाद दर्द अलर्ट है। ओवेरियन कैंसर में पेट फूलना, भूख कम लगना, या पेल्विक डिस्कम्फर्ट नजर आता है। स्किन पर नए मोल्स या पुराने में साइज, शेप, या कलर चेंज मेलानोमा का हिन्ट हो सकता है। ये लक्षण दूसरी बीमारियों की वजह से भी हो सकते हैं, लेकिन लगातार बने रहने पर इग्नोर न करें। रेगुलर स्क्रीनिंग, जैसे मैमोग्राफी (40+ उम्र) या पेप स्मीयर (21+), शुरुआती डायग्नोसिस में गेम-चेंजर हैं। लाइफस्टाइल में स्मोकिंग छोड़ना और हेल्दी डाइट भी रिस्क कम करती है।
कैंसर के 11 लक्षण
महिलाओं में कैंसर के कई प्रकार, जैसे ब्रेस्ट, सर्वाइकल, ओवेरियन, और लंग कैंसर, शुरुआती स्टेज में मामूली लक्षण दिखाते हैं, जिन्हें अक्सर इग्नोर कर दिया जाता है।
- अनएक्सप्लेन्ड वेट लॉस बिना डाइट या एक्सरसाइज के 4-5 किलो वजन कम होना।
- लगातार थकान जो रेस्ट से भी न जाए।
- ब्रेस्ट में गांठ या स्किन में बदलाव, जैसे डिम्पलिंग या निपल डिस्चार्ज।
- असामान्य ब्लीडिंग, जैसे पीरियड्स के बीच स्पॉटिंग या मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग।
- पेट में सूजन या पेल्विक पेन, जो ओवेरियन या यूटराइन कैंसर का हिन्ट हो सकता है।
- बार-बार बुखार या इन्फेक्शन, जो ल्यूकेमिया से जुड़ा हो सकता है।
- स्किन पर नए मोल्स या पुराने में बदलाव।
- निगलने में दिक्कत या लगातार खांसी, जो लंग या थ्रोट कैंसर की ओर इशारा कर सकता है।
- पेट में जलन या अपच जो ठीक न हो।
- बार-बार यूरीनेशन या ब्लैडर कंट्रोल में बदलाव।
- लिम्फ नोड्स में सूजन, जैसे गर्दन या आर्मपिट में।
ये लक्षण हमेशा कैंसर का मतलब नहीं, लेकिन अगर 2-3 हफ्ते से ज्यादा रहें, तो डॉक्टर से चेकअप जरूरी है। मैमोग्राफी, पेप स्मीयर, या अल्ट्रासाउंड जैसी स्क्रीनिंग जल्दी डिटेक्शन में मदद करती हैं।
समय पर जांच और जागरूकता
कई महिलाएं लक्षणों को मामूली समझकर चेकअप टालती हैं, जो खतरनाक हो सकता है। अगर थकान, वेट लॉस, या ब्लीडिंग जैसे साइन 2-3 हफ्ते रहें, तो जनरल फिजिशियन या गायनेकॉलजिस्ट से मिलें। मैमोग्राफी, अल्ट्रासाउंड, या HPV टेस्ट जैसे टूल्स शुरुआती स्टेज में कैंसर पकड़ सकते हैं। जागरूकता बढ़ाने के लिए रेगुलर हेल्थ कैंप्स और सेल्फ-एग्जाम (जैसे ब्रेस्ट सेल्फ-चेक) जरूरी हैं। परिवार में कैंसर हिस्ट्री हो तो जेनेटिक टेस्टिंग भी ऑप्शन है। हेल्दी लाइफस्टाइलजैसे फल, सब्जियां, और रेगुलर एक्सरसाइज प्रिवेंशन में मदद करता है। अपने शरीर को सुनें और सही वक्त पर एक्शन लें।
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