MP Breaking News
Wed, Dec 17, 2025

शहरी निकाय चुनाव से पहले हिमाचल सरकार ने बदले नियम, नॉमिनेटेड पार्षद भी लेंगे शपथ

Written by:Neha Sharma
Published:
हिमाचल प्रदेश में शहरी निकाय चुनाव से ठीक पहले राज्य सरकार ने म्युनिसिपल इलेक्शन रूल्स 2015 में अहम बदलाव किए हैं। सरकार ने रूल नंबर 9, 27, 28 और 88 में संशोधन किया है।
शहरी निकाय चुनाव से पहले हिमाचल सरकार ने बदले नियम, नॉमिनेटेड पार्षद भी लेंगे शपथ

हिमाचल प्रदेश में शहरी निकाय चुनाव से ठीक पहले राज्य सरकार ने म्युनिसिपल इलेक्शन रूल्स 2015 में अहम बदलाव किए हैं। सरकार ने रूल नंबर 9, 27, 28 और 88 में संशोधन किया है। इसके तहत परिसीमन (डी-लिमिटेशन) की प्रक्रिया में अब जिलाधीश (डीसी) की ओर से अंतिम प्रकाशन अनिवार्य होगा। यानी शहरी निकायों से संबंधित कॉपी लगाने के अलावा संबंधित जिला के डीसी को फार्म 2ए भी भरकर देना जरूरी कर दिया गया है। इन बदलावों को लेकर दस दिन के भीतर आपत्तियां और सुझाव भेजने का समय दिया गया है, जिसके बाद इन्हें अंतिम रूप दे दिया जाएगा।

हिमाचल सरकार ने बदले नियम

चुनाव प्रक्रिया से जुड़े नियमों में भी अहम संशोधन किए गए हैं। रूल 27 और 28 में बदलाव करते हुए स्पष्ट किया गया है कि चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद मतदाता सूची में कोई नया नाम नहीं जोड़ा जाएगा और न ही नए आवेदन स्वीकार होंगे। इसका सीधा असर यह होगा कि अंतिम सूची जारी होने के बाद उसमें किसी तरह का फेरबदल संभव नहीं होगा। यह प्रावधान मतदाता सूची को स्थिर रखने और विवादों से बचने के लिए किया गया है।

सबसे बड़ा बदलाव रूल 88 में किया गया है। इसके अनुसार अब शहरी निकायों में चुने हुए पार्षदों के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा नामित (नॉमिनेटेड) पार्षद भी शपथ ग्रहण कर सकेंगे। हालांकि इसके लिए शर्त यह रखी गई है कि जिन पार्षदों को नामित किया गया है, उनका नॉमिनेशन सरकार के राजपत्र में चुनाव तिथि से पहले प्रकाशित होना चाहिए। इससे नॉमिनेटेड पार्षदों को भी परिषद के कार्यों में बराबर भागीदारी मिल सकेगी।

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में इसी साल के अंत में शहरी निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि इन बदलावों को राज्य चुनाव आयोग से चर्चा के बाद अंतिम रूप दिया गया है। साथ ही, यदि किसी व्यक्ति या संस्था को इन संशोधनों पर आपत्ति है तो वह दस दिन के भीतर प्रधान सचिव, शहरी विकास को लिखित आपत्ति भेज सकता है। यह कदम चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने की दिशा में उठाया गया है।