इंदौर (Indore) शहर में इन दिनों जिला प्रशासन सख्त नजर आ रहा है। अवैध काम करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। इसी क्रम में धरमपुरी-सोलसिंदा इलाके में चल रही एक आयुर्वेदिक दवा बनाने की फैक्ट्री पर बड़ी कार्रवाई हुई है। कलेक्टर शिवम वर्मा के आदेश पर प्रशासन की टीम ने इस फैक्ट्री को सील कर दिया। जांच में कई गंभीर गड़बड़ियां सामने आईं।
प्रशासन को सूचना मिली थी कि इस फैक्ट्री में बिना अनुमति के आयुर्वेदिक दवाएं बनाई जा रही हैं। जब प्रशासन और आयुष विभाग की टीम मौके पर पहुंची, तो हालात देखकर साफ हो गया कि यहां नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था और इससे लोगों की सेहत को नुकसान हो सकता था।
धरमपुरी-सोलसिंदा में चल रही थी अवैध फैक्ट्री
जांच में पता चला कि धरमपुरी-सोलसिंदा में स्थित रेबिहांस हर्बल प्राइवेट लिमिटेड नाम की यह फैक्ट्री सही तरीके से काम नहीं कर रही थी। फैक्ट्री के पास दवा बनाने की कोई पूरी और वैध अनुमति नहीं थी। यह फैक्ट्री सुखलिया, इंदौर निवासी सुरेंद्र सिंह के कहने पर चलाई जा रही थी। जरूरी कागजात न होने के कारण प्रशासन ने फैक्ट्री को तुरंत बंद कर दिया।
30 से ज्यादा तरह के सिरप, लेकिन जांच की कोई व्यवस्था नहीं
एसडीएम सांवेर घनश्याम धनगर ने बताया कि फैक्ट्री में 30 से ज्यादा तरह के आयुर्वेदिक सिरप मिले। हैरानी की बात यह थी कि इतनी सारी दवाएं बनाने के बावजूद वहां उनकी जांच करने की कोई लैब नहीं थी। दवाओं में कौन-कौन से सामान मिलाए जा रहे हैं, उनकी जानकारी और कागजात भी फैक्ट्री वाले नहीं दिखा सके। यह सीधे-सीधे नियमों के खिलाफ था।
दवाओं पर दूसरी कंपनियों के नाम लिखे थे
जांच में यह भी सामने आया कि दवाओं की बोतलों पर दूसरी कंपनियों के नाम लिखे हुए थे। इनमें पंजाब और देहरादून की कुछ कंपनियों के नाम शामिल थे। लेकिन जब प्रशासन ने पूछा कि इन कंपनियों से कोई समझौता है या नहीं, तो फैक्ट्री वाले कोई भी कागज नहीं दिखा पाए। इससे साफ हो गया कि लोगों को भ्रम में रखने के लिए यह नाम लिखे गए थे।
घर जैसे परिसर में बन रही थीं दवाएं
सबसे गंभीर बात यह थी कि दवाएं आवासीय जगह में बनाई जा रही थीं। वहां साफ-सफाई, सुरक्षा और आग से बचाव के कोई इंतजाम नहीं थे। न कर्मचारियों की सुरक्षा का ध्यान रखा गया था और न आसपास रहने वाले लोगों की। यह बहुत ही खतरनाक स्थिति थी।
फैक्ट्री में काम करने वाले केमिस्ट संजय डेविड ने बताया कि उन्होंने बीएससी (मैथ्स) की पढ़ाई की है। उन्होंने कहा कि उन्हें दवा बनाने का थोड़ा अनुभव है, लेकिन जांच में पता चला कि आयुर्वेदिक दवा बनाने के लिए जरूरी योग्यता और अनुमति उनके पास नहीं थी।
फैक्ट्री को किया गया सील
इन सभी गड़बड़ियों को देखते हुए प्रशासन और आयुष विभाग ने मिलकर फैक्ट्री को तुरंत सील कर दिया। अधिकारियों ने कहा कि मामले की आगे भी जांच होगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने साफ कहा है कि इंदौर में लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा और आगे भी ऐसी कार्रवाई जारी रहेगी।





