इंदौर जिले के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों खेती सिर्फ मेहनत का काम नहीं रह गई है, बल्कि यह डर और चिंता से भरी लड़ाई बन चुकी है। कड़ाके की ठंड में किसान अपने घरों की गर्म रजाइयों को छोड़कर खेतों में रात-रात भर जागने को मजबूर हैं। वजह है नीलगाय, हिरण और अब जंगली सुअरों के झुंड, जो अंधेरे का फायदा उठाकर खेतों में घुस आते हैं। दिन में हरी-भरी दिखने वाली फसल, सुबह होते-होते रौंदी हुई मिलती है। किसान समझ नहीं पा रहे कि आखिर कब तक ऐसे हालात सहेंगे। प्रशासन और वन विभाग से उम्मीदें बढ़ रही हैं, लेकिन जमीन पर समाधान अभी दूर नजर आ रहा है।
इंदौर के गांवों में बढ़ता नीलगाय और हिरण का खतरा
इंदौर जिले के मांगलिया क्षेत्र और उसके आसपास के दस से ज्यादा गांवों में नीलगाय और हिरणों की संख्या तेजी से बढ़ी है। देवास के जंगलों से निकलकर ये वन्य प्राणी अब इंदौर जिले के सुलाखेड़ी, कदावली बुजुर्ग, व्यासखेड़ी, गोंदाल्या सहित कई गांवों तक पहुंच चुके हैं। रात या अलसुबह के समय ये झुंड खेतों में घुसते हैं। पहले वे फसल खाते हैं और फिर दौड़-दौड़कर खेतों को रौंद देते हैं। इससे गेहूं, प्याज और हरी सब्जियों की फसल बुरी तरह खराब हो रही है। किसानों के अनुसार, नुकसान सिर्फ खाने से नहीं, बल्कि झुंड की भगदड़ से ज्यादा होता है।
कड़ाके की ठंड में चौकीदारी बन गई किसानों की मजबूरी
फसलों को बचाने के लिए किसान खुद चौकीदार बन गए हैं। रात के समय खेतों में लाइटें लगानी पड़ रही हैं, क्योंकि रोशनी से वन्य प्राणी डरते हैं। कई किसान पटाखों का सहारा ले रहे हैं, ताकि तेज आवाज से झुंड भाग सके। इतना ही नहीं, किसानों को लाल रंग की साड़ियां और कपड़े खेतों में टांगने पड़ रहे हैं। कई बार बर्फीली हवा में खेतों में बैठे रहना पड़ता है। इसके बावजूद सुबह फसल खराब मिलती है। यह मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से थकाने वाला हालात है।
वन्य प्राणियों को नुकसान नहीं, समाधान चाहिए
किसान साफ कहते हैं कि वे वन्य प्राणियों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते। हिरण और नीलगाय संरक्षित जीव हैं और उनका शिकार कानूनन अपराध है। लेकिन किसान यह भी सवाल उठा रहे हैं कि उनकी फसल का क्या? किसानों का कहना है कि सरकार और वन विभाग को ऐसा इंतजाम करना चाहिए, जिससे जंगल से गांव तक जानवर न पहुंचें। मजबूत फेंसिंग, जंगलों में पानी और चारे की व्यवस्था जैसे कदम जरूरी हैं।
मुआवजे की मांग
लगातार हो रहे नुकसान के बाद अब किसानों ने प्रशासन और वन विभाग के अफसरों से मुलाकात की है। किसानों ने फसल नुकसान का मुआवजा देने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय पर मदद नहीं मिली, तो खेती करना मुश्किल हो जाएगा। किसानों ने यह भी बताया कि कई बार हिरणों के पीछे तेंदुए भी गांव में घुस आते हैं। इससे इंसानों की जान को भी खतरा बढ़ जाता है। यह सिर्फ खेती का नहीं, बल्कि सुरक्षा का भी मामला बनता जा रहा है।





