Jewellery Insurance : क़ीमती आभूषण हर घर में होते हैं। खासतौर पर महिलाओं के पास कई जेवर होते हैं। घर में ये सुरक्षित हैं या नहीं, बस यही डर बना रहता है, इसलिए कुछ लोग इन्हें बैंक लॉकर में रखवा देते हैं। अगर घर में कभी चोरी हो भी जाती है तो आभूषण बैंक लॉकर में सुरक्षित रहते हैं। लेकिन अगर बैंक में इन्हें किसी प्रकार से नुक़सान पहुंचता है तो इसकी क्षतिपूर्ति मिलना मुश्किल है। वहीं, सबके लिए जेवरों को बैंक लॉकर में रखवाना आसान भी नहीं है। इसलिए आप बीमा की मदद से आभूषणों को घर पर रखकर नुक़सान से बच सकते हैं।
अगर आपके पास बड़ी संख्या में आभूषण हैं तो इनका ‘बीमा करवाना सही फ़ैसला होगा। आभूषण का बीमा करवाने पर आपको बैंक लॉकर में अलग से आभूषण रखने और चिंता करने की जरूरत भी नहीं होगी।
यहां मिलता है फायदा
घर में चोरी हो जाती है, आग लगने से आभूषणों को हानि होती है या प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, भूकंप आदि में होने वाले नुक़सान की भरपाई हो जाती है। आपने जो गहने पहने हुए हैं, अगर उनकी लूट हो जाती है तो उस पर भी कुछ बीमा कंपनियां कवर प्रदान करती हैं। इसके लिए आपको एफआईआर दर्ज कराने और चोरी का वैध प्रमाण प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है।
इसमें नहीं मिलेगा लाभ
यदि परिवार के किसी सदस्य की वजह से नुक़सान हुआ है तो बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति की ज़िम्मेदारी नहीं लेती है। अगर घर से आभूषण चोरी हुए हैं और एक महीने और उससे अधिक समय के बाद सूचित कर दावा करते हैं तो बीमा कंपनी किसी भी निपटान के दावे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं होती। इसके अलावा, अगर आभूषण की सफ़ाई करते वक़्त उसे हानि पहुंचती है या टूट-फूट होती है तब भी कवर नहीं मिल सकता।
अगर गुम हो जाए तो ?
अगर आपका कोई आभूषण गुम हो गया है तो फौरन बीमाकर्ता को सूचित करें। अगर आग लगने के कारण आभूषण नहीं मिल रहा तो दमकल विभाग को सूचना दें। चोरी होने पर एफआईआर करानी होगी। सूचना देने के साथ-साथ आभूषण की सही क़ीमत भी उन्हें देनी होगी।
प्रीमियम का 4 हिसाब-किताब
कुछ मामलों में बीमा कंपनियां प्रीमियम का फैसला करने के लिए अपने सर्वेक्षक के माध्यम से सोने के मूल्य का आकलन करती हैं। अन्य मामलों में कंपनियां एक घोषित बीमा मूल्य पर कवरेज प्रदान करती हैं। हालांकि, ऐसे मामलों में प्रीमियम ज्यादा होता है। गोल्ड इंश्योरेंस पर प्रीमियम आपके द्वारा बीमित की गई सोने की मात्रा पर निर्भर करता है। वहीं, बीमा ख़रीदते समय सोने का बाजार मूल्य, आभूषण की स्थिति और कंपनी की योजनाएं शामिल होती हैं। यदि मोटा-मोटा देखें तो 10 लाख रुपए के आभूषणों पर अनुमानित 1 हजार प्रति माह का प्रीमियम आता है।
रसीद सुरक्षित रखें
आभूषण ख़रीदते समय आपको जो रसीद मिलती है उसे संभालकर रखें। कुछ बीमा कंपनियां निपटान करते समय भुगतान के लिए खोए या क्षतिग्रस्त सोने के गहनों की ख़रीद की रसीद दिखाने की मांग करती हैं।
कुछ नियम ये भी हैं
- समय के साथ आभूषणों के टूटने या घिसने पर भी कवर नहीं मिलता है।
- बीमा में शामिल पुराने आभूषणों के बदले नए आभूषणों पर कवर की मांग नहीं कर सकते। नएआभूषणों का बीमा कराना होगा।
- वास्तविक मूल्य या अन्य आभूषणों का खुलासा नहीं करने पर भी कवर नहीं मिलेगा।
- यदि आभूषण किसी प्रकार से जब्त किए गए हों तो वे भी कवर नहीं होते हैं।
- जेवर का कवर निर्धारित की गई राशि पर मिलता है। यह आभूषण के बिल में लिखी राशि और बाजार मूल्य के आधार पर तय की जाती है।





