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Wed, Dec 17, 2025

अमित शाह और केसी वेणुगोपाल के बीच तीखी नोकझोंक, जानें संसद में किस बात को लेकर भिड़ गए दो दिग्गज

Written by:Mini Pandey
Published:
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने इन विधेयकों को असंवैधानिक और लोकतंत्र विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि ये विधेयक किसी मुख्यमंत्री पर मनमाना मुकदमा दर्ज कर उन्हें हटाने का रास्ता खोलते हैं, जो जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा है।
अमित शाह और केसी वेणुगोपाल के बीच तीखी नोकझोंक, जानें संसद में किस बात को लेकर भिड़ गए दो दिग्गज

लोकसभा में बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल के बीच आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार चुने हुए प्रतिनिधियों को हटाने वाले विधेयकों को लेकर तीखी नोकझोंक हुई। ये विधेयक उन मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को हटाने का प्रावधान करते हैं, जो गंभीर आरोपों में 30 दिन से अधिक समय तक हिरासत में रहते हैं। वेणुगोपाल ने इन विधेयकों को देश के संघीय ढांचे को कमजोर करने वाला बताया और शाह पर गुजरात के गृह मंत्री रहते हुए गिरफ्तारी के समय नैतिकता न अपनाने का आरोप लगाया। जवाब में शाह ने कहा कि उन्होंने झूठे आरोपों के बावजूद नैतिकता का पालन किया और गिरफ्तारी से पहले ही इस्तीफा दे दिया था।

शाह ने तीन विधेयक पेश किए: संविधान 130वां संशोधन विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेश सरकार संशोधन विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक, 2025। इनके तहत, यदि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या राज्य के मंत्री गंभीर अपराधों में 30 दिन तक हिरासत में रहते हैं, तो उन्हें 31वें दिन तक इस्तीफा देना होगा, अन्यथा उन्हें स्वतः हटा दिया जाएगा। सरकार का कहना है कि ये विधेयक सार्वजनिक जीवन में शुचिता को बढ़ावा देंगे, जबकि विपक्ष का आरोप है कि यह विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने की साजिश है।

असंवैधानिक और लोकतंत्र विरोधी

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने इन विधेयकों को असंवैधानिक और लोकतंत्र विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि ये विधेयक किसी मुख्यमंत्री पर मनमाना मुकदमा दर्ज कर उन्हें हटाने का रास्ता खोलते हैं, जो जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा है। वहीं, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे देश को पुलिस राज्य बनाने की कोशिश बताया और कहा कि यह विधेयक असंवैधानिक है। उन्होंने चेतावनी दी कि सत्ता हमेशा नहीं रहती और बीजेपी को इसका ध्यान रखना चाहिए।

रिपोर्ट सौंपने को लेकर सवाल 

इन विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया है, जिसे अगले संसदीय सत्र के पहले दिन अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। शाह ने कहा कि विपक्ष को समिति में अपनी आपत्तियां रखने का मौका मिलेगा। इस बीच, पूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी का उदाहरण सामने आया, जिन्होंने गंभीर आरोपों में गिरफ्तारी के बावजूद अपने पदों से इस्तीफा नहीं दिया था।