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Fri, Dec 19, 2025

पूर्व मुख्यमंत्री और कम्युनिस्ट नेता वीएस अच्युतानंदन का 101 वर्ष की आयु में निधन, जानें इनके बारे में विस्तार से

Written by:Mini Pandey
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अच्युतानंदन के पार्थिव शरीर को पहले एकेके सेंटर ले जाया जाएगा जहां लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे। इसके बाद रात में इसे उनके तिरुवनंतपुरम स्थित आवास पर ले जाया जाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री और कम्युनिस्ट नेता वीएस अच्युतानंदन का 101 वर्ष की आयु में निधन, जानें इनके बारे में विस्तार से

केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता वीएस अच्युतानंदन का सोमवार को 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें 23 जून को दिल का दौरा पड़ने के बाद तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पिछले पांच वर्षों से स्ट्रोक के कारण वे सक्रिय राजनीति से दूर थे। उनके पार्थिव शरीर को मंगलवार को सचिवालय दर्बार हॉल में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा जिसके बाद इसे उनके गृहनगर अलप्पुझा ले जाया जाएगा।

अच्युतानंदन के पार्थिव शरीर को पहले एकेके सेंटर ले जाया जाएगा जहां लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे। इसके बाद रात में इसे उनके तिरुवनंतपुरम स्थित आवास पर ले जाया जाएगा। मंगलवार को तिरुवनंतपुरम से अलप्पुझा तक उनके पार्थिव शरीर को जुलूस के रूप में ले जाया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार परसों अलप्पुझा में होगा।

सीपीआईएम के एक प्रभावशाली नेता

वीएस अच्युतानंदन को लोकप्रिय रूप से ‘वीएस’ के नाम से जाना जाता था। वह सीपीआईएम के एक प्रभावशाली नेता और जननायक थे। 90 वर्ष की आयु में भी उन्होंने पूरे केरल में अपनी पार्टी और उम्मीदवारों के लिए व्यापक प्रचार किया। वे केरल के लोगों के बीच अत्यंत लोकप्रिय थे और युवाओं द्वारा उन्हें “वीएस हमारी आंख और दिल” के नारे के साथ सम्मानित किया जाता था। उनकी वाक्पटुता और जनता से जुड़ाव ने उन्हें एक विशेष स्थान दिलाया।

नारियल रेशा कारखाने में करते थे काम

अच्युतानंदन का जन्म वेलिककाथु शंकरन के रूप में हुआ था। उन्होंने चार वर्ष की आयु में अपनी मां और ग्यारह वर्ष की आयु में अपने पिता को खो दिया। उन्होंने दर्जी और फिर नारियल रेशा कारखाने में काम शुरू किया। कम उम्र में ही उन्होंने श्रमिकों को संगठित कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और बाद में सीपीआईएम के सचिव बने। 2006 में 83 वर्ष की आयु में वे केरल के मुख्यमंत्री बने। 1964 में वे उन 32 नेताओं में शामिल थे जिन्होंने सीपीआई से अलग होकर सीपीआईएम का गठन किया। वे भूमि अधिकार, किसानों के अधिकार और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के प्रबल समर्थक थे।