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Sat, Dec 20, 2025

भारत-अमेरिका ट्रेड डील की तैयारी तेज, अगस्त में भारत आएगा अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल

Written by:Vijay Choudhary
Published:
भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर पर बातचीत तेज हो गई है। सितंबर-अक्टूबर तक इस समझौते के पूरे होने की संभावना जताई जा रही है। इसी कड़ी में अब अमेरिका का एक उच्चस्तरीय डेलिगेशन अगस्त के दूसरे सप्ताह में भारत दौरे पर आ सकता है।
भारत-अमेरिका ट्रेड डील की तैयारी तेज, अगस्त में भारत आएगा अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल

भारत-अमेरिका ट्रेड डील: भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से लंबित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत तेज हो गई है। सितंबर-अक्टूबर तक इस समझौते के पूरे होने की संभावना जताई जा रही है। इसी कड़ी में अब अमेरिका का एक उच्चस्तरीय डेलिगेशन अगस्त के दूसरे सप्ताह में भारत दौरे पर आ सकता है। इससे पहले भारतीय वार्ताकार अमेरिका यात्रा से लौट चुके हैं।

मिनी डील पर ट्रंप की सख्ती, बढ़ सकते हैं टैरिफ

सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मिनी डील के लिए 1 अगस्त तक की डेडलाइन तय की है। अगर यह डील नहीं होती है, तो अमेरिका भारत से आयात होने वाले स्टील, ऑटो पार्ट्स और एल्यूमीनियम पर भारी टैरिफ लगा सकता है। हालांकि जानकारों का कहना है कि इन टैरिफ से भारत को खास नुकसान नहीं होगा, क्योंकि शेयर बाजार पहले ही इसे फैक्टर इन कर चुका है।

भारत पर कोई दबाव नहीं

सरकारी सूत्रों का कहना है कि अमेरिका की ओर से किसी भी दबाव के बावजूद भारत अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा। व्यापार समझौते को लेकर मीडिया में जो अटकलें लगाई जा रही हैं, वे वास्तविकता से परे हैं। समझौता तभी होगा जब भारतीय हितों की पूरी तरह रक्षा की जाएगी।

यूके के साथ FTA पर इस हफ्ते होंगे दस्तखत

इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 23-24 जुलाई को प्रस्तावित ब्रिटेन यात्रा के दौरान Free Trade Agreement (FTA) पर भी हस्ताक्षर हो सकते हैं। इस अवसर पर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी उनके साथ मौजूद रहेंगे।
सूत्रों का कहना है कि यूके के साथ हुआ यह मुक्त व्यापार समझौता भारत के लिए फायदेमंद होगा। इस समझौते के तहत 99% भारतीय निर्यात पर यूके में शून्य शुल्क लगाया जाएगा, जबकि 90% ब्रिटिश उत्पादों को भारत में ड्यूटी फ्री किया जाएगा।

अभी लग सकती है थोड़ी देरी

हालांकि, यूके के साथ हुआ यह समझौता तुरंत लागू नहीं होगा, क्योंकि इसे ब्रिटेन की संसद की मंजूरी चाहिए होगी। माना जा रहा है कि इसे लागू होने में कुछ महीने लग सकते हैं, लेकिन यह दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को मजबूत करेगा।