भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी में लोकसभा चुनाव से पहले ही मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। टिकट विरण के बाद दावेदारों समेत वर्तमान सांसद ने भी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रदेश की बालाघाट सीट से बीजेपी पाच बार जीत हासिल करने में कामयाब हुई है। लेकिन पार्टी ने इस बार वर्तमान सांसद बोध सिंह भगत का टिकट काट दिया। इससे नाराज होकर उन्होंंने निर्दलीय पर्चा दाखिल करने के साथ ही पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया। उनके इस कदम से बीजेपी में हड़कंप मचा हुआ है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हे मनाने की काफी कोशिश की लेकिन उन्होंंने किसी की नहीं सुनी।
बीजेपी ने बालाघाट से बोध सिंह का टिकट काट कर ढाल सिंह बिसेन को दिया है। बिसेन पूर्व विधायक हैं। दोनों ही नेता पवार समाज से ताल्लुक रखते हैं। इस समाज का बालाघाट लोकसभा सीट पर प्रभाव है। इसके अलावा यहां लोधी और एससी/एसटी समुदाय के मतदाता भी नतीजे प्रभावित करने में निर्णयाक भूमिका निभाते हैं। एक दिलचस्प घटनाक्रम में, बसपा उम्मीदवार डोमन सिंह नागपुरे द्वारा दाखिल नामांकन पत्र को खारिज कर दिया गया, जबकि पूर्व विधायक कंकर मुंजारे, जो वर्षों से बालाघाट चुनावों में वोट काटने की भूमिका में रहे हैं, सपा-बसपा के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में फिर से मैदान में हैं। उन्होंने सपा और बसपा ने गठबंधन के तहत यहां सेे ���तारा है। वह सपा के खिलाड़ी हैं लेकिन बसपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे हैं।
मध्य प्रदेश की सियासत में बालाघाट ने एक से बढ़कर एक कद्दावर नेताओं को दिया हैं। बालाघाट लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा शामिल हैं। बालाघाट सीट से छह और सिवनी से दो विधानसभा इस लोकसभा में आती हैं। निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 17.61 लाख है और विधानसभा क्षेत्रों में से तीन- बैहर, लांजी और परसवाड़ा- नक्सल प्रभावित हैं।
बीजेपी के अलावा कांग्रेस उम्मीदवार मधु भगत भी ताकतवर पवार समज से आते हैं। उन्होंने बालाघाट की परसवाड़ा विधानसभा से चुनाव भी लड़ा था। वहीं, इस सीट पर सपा नेता और उम्मीदवार कांकर मुंजारे ने बीजेपी प्रत्याशी को पछाड़ दिया था वह दूसरे स्थान पर रहे थे। अब यही प्रभाव लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा। यहां इस बार काफी रोचक मुकाबला होने की संभावना है। बीजेपी क अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों के अलावा अपने से हार का डर सता रहा है।





