अजमेर शरीफ दरगाह पर हर साल होने वाले उर्स में सरकारी स्तर पर चादर चढ़ाने के लिए भेजी जाती है। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर प्रधानमंत्री और अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों द्वारा चादर भेजे जाने का यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।
बता दें कि इस मामले में जिला अदालत के बाद अब शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की गई है। जो जनहित याचिका लगाई गई है वह वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन और हिंदू सेवा के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दाखिल की है। इसमें कहा गया है की दरगाह पर उसके दौरान भेजी जाने वाली चादर पर तत्काल रोकलगा दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जो लोग संवैधानिक पद पर बैठे हैं। उनका इस तरह से धार्मिक स्थल से जुड़ा आयोजन सरकारी तटस्थता के सिद्धांत के खिलाफ है।
जल्दी सुनवाई की अपील
याचिकाकर्ताओं ने इस मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई करने की अपील की है। उसने केंद्र सरकार समेत अन्य पक्षों को प्रतिवादी बनाया गया है। ऐसा बताया जा रहा है कि आज ही इस मामले की सुनवाई हो सकती है। उधर अजमेर दरगाह पर सालाना उर्स शुरू हो चुका हैं। 22 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से चादर भेजने की संभावना जताई जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के मंत्री किरण रिजिजू चादर लेकर अजमेर जा सकते हैं।
जिला अदालत ने मामला लंबित
बता दें कि इस मुद्दे को लेकर विष्णु गुप्ता ने पहले ही अजमेर की जिला अदालत में आ चुका दाखिल कर दी है। यह मामला अभी तक लंबित चल रहा है जिसकी सुनवाई 3 जनवरी को रखी गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सुनवाई होने तक याचिका व्यवहारिक रूप से औचित्यहीन ना हो जाए।





