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Sat, Dec 20, 2025

Cabinet Expansion: शिवराज कैबिनेट में शामिल हुए 5 मंत्री, राज्यपाल ने दिलाई शपथ

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Cabinet Expansion: शिवराज कैबिनेट में शामिल हुए 5 मंत्री, राज्यपाल ने दिलाई शपथ

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज के शपथ लेने के 29 दिन बाद आखिरकार आज मंगलवार को मिनी कैबिनेट का विस्तार हो गया। करीब पांच विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली।राज्यपाल लाल जी टंडन ने विधायकों को मंत्री पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। सबसे पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा ने शपथ ली और इसके बाद तुलसीराम सिलावट ने,कमल पटेल ,गोविंद सिंह राजपूत औऱ मीना सिंह ने मंत्री पद की शपथ ली।भाजपा खेमे से तीन और ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे से दो मंत्रियों ने शपथ ली। भाजपा से वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, मीना सिंह और कमल पटेल मंत्री बने, जबकि सिंधिया ने तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री पद की शपथ ली। इस मंत्रिमंडल गठन में पार्टी में पांच मंत्रियों में दो मंत्री सिंधिया कोटे के हैं, इससे साफ है कि सरकार में सिंधिया का दखल बरकरार रहेगा।

खास बात ये है कि इन मिनी कैबिनेट में जातिय समीकरणों को भी ध्यान में रखा गया है। जहां महिला और आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाली विधायक मीना सिंह को मंत्री बनाया गया है वही ओबीसी वर्ग से कमल पटेल, अनुसूचित जाति वर्ग से सिलावट और सामान्य वर्ग से डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा और गोविंद सिंह राजपूत को कैबिनेट का हिस्सा  बनाया गया है।सिलावट कमलनाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाते हैं, जो कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में आए हैं और अब उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, वही सामान्य वर्ग के राजपूत समुदाय के प्रतिनिधित्व के तौर पर गोविंद सिंह राजपूत को कैबिनेट में जगह मिली है वे भी सिंधिया के समर्थक माने जाते हैं और कमलनाथ सरकार में परिवहन मंत्री थे। कोरोना वायरस के चलते शपथ ग्रहण में शारीरिक दूरी का विशेष ध्यान रखा गया। इसके तुरंत बाद कैबिनेट की बैठक होगी, जिसमें मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण रोकने को लेकर मंत्री मैदान में उतरेंगे। माना जा रहा है कि इस बैठक में मंत्रियों को विभाग का बंटवारा किया जा सकता है। फिलहाल मंत्रिमंडल का स्वरूप छोटा रखा जा रहा गया है।लॉक डाउन के समाप्त होते ही फिर से कैबिनेट का विस्तार होगा।

बता दें कि कमलनाथ और पूर्व सीएम दिग्‍विजय सिंह से अनबन होने के बाद 11 मार्च को सिंधिया अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा में शामिल होने के बाद सभी 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद कमलनाथ सरकार ने बहुमत खो दिया और विधानसभा में शक्ति परीक्षण से पहले ही कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान को चौथी बार राज्य का सीएम बनने का मौका मिला।