सनातन धर्म में एक से बढ़कर एक त्यौहार मनाया जाते हैं, जब देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है। इन सभी की बनावट अलग-अलग होती है, किसी की दो भुजाएं होती हैं तो कोई चार भुजाओं वाले देव होते हैं, कुछ देवी देवता के आठ या 10 भुजाएं भी होती हैं। इन सभी देवी देवताओं का सनातन धर्म में अलग-अलग महत्व है, सभी अलग-अलग खासियत के लिए प्रसिद्ध हैं। इन सभी देवी देवताओं का हर युग से कोई ना कोई नाता जुड़ा हुआ है, जिन्होंने हमेशा अपने भक्तों की रक्षा की है, चाहे भगवान शिव हों या माता पार्वती, देवी दुर्गा हों या भगवान विष्णु, हर एक देवताओं ने धरती पर अत्याचारों को रोका है।
इन सभी देवी देवताओं को अलग स्थान देने के लिए मंदिर की स्थापना की जाती है, जहां उनकी मूर्ति या फिर फोटो रखी जाती है, जहां सुबह से लेकर शाम तक भक्तों की भीड़ भी उमड़ती है। पुजारी सुबह और शाम आरती करते हैं।
दो से अधिक भुजाएं
कुछ ऐसे मंदिरों के पट हैं, जो साल भर में एक बार खोले जाते हैं, तो कुछ ऐसे मंदिर भी हैं, जहां सालों भर दर्शन के लिए मंदिर के कपाट खुले रहते हैं। भारत में स्थित कई ऐसे मंदिर हैं, जो की पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं, तो कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जो स्थानीय स्तर पर मशहूर हैं। लोग धार्मिक तीर्थ यात्रा पर निकलते हैं, वहीं भारतीय रेलवे द्वारा भी श्रद्धालुओं को भारत भ्रमण कराया जाता है। इस दौरान धार्मिक स्थलों पर रख कर उन्हें टूर करवाया जाता है।
जानें इसका अर्थ
हालांकि, आज का आर्टिकल आपके लिए थोड़ा अलग होगा, क्योंकि आज हम आपको यह बताएंगे कि आखिर देवी-देवताओं की इतनी भुजाएं होने का अर्थ क्या है। अक्सर हिंदू देवी देवताओं के दो से अधिक भुजाएं होती हैं, जो अलग-अलग चीजों को धारण किए रहते हैं। इन सभी का अलग धार्मिक महत्व, पौराणिक कथाएं और रहस्य होता है। ऐसे में आज हम आपको इसके बारे में विस्तारपूर्वक बताएंगे।
सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक
सबसे पहले हम आपको बता दें कि हिंदू धर्म में देवी-वताओं की कई भुजाएं सर्वोच्च शक्ति को दर्शाती हैं। इन भुजाओं में वह हथियार, फूल, माला इत्यादि धारण किए होते हैं, जो की बुराइयों पर अच्छाई पाने का भी प्रतीक है। इसका अर्थ है कि देवगण बुराइयों से लड़ने की अपार शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। भगवान विष्णु ने अपनी भुजाओं में जो भी वस्त्र धारण किए हुए हैं, उन्हें आध्यात्मिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतीक माना जाता है।
बहु-मुखी प्रकृति का प्रतीक
आपने देवी देवताओं की प्रतिमाओं या फिर चित्र में देखा होगा कि हर एक देवगण की अतिरिक्त भुजाएं होती हैं, जो की विशिष्ट हथियार या प्रतीक रखती हैं। अनेक भुजाएं उनकी बहु-मुखी प्रकृति का प्रतीक हैं। इसका अर्थ यह है कि वह एक साथ कई कार्य करने में सक्षम हैं, इस तरह वह अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। बात करें माता लक्ष्मी और माता सरस्वती की, तो इनकी चार भुजाएं हैं, जो कि धन की देवी और ज्ञान की देवी के रूप में पूजी जाती हैं। इनके भुजाओं में आपको पुष्प सहित अन्य कई चीजें देखने को मिलेंगी, जो की भक्तों को गुण प्रदान करती हैं।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)





