MP Breaking News
Wed, Dec 17, 2025

अकोला दंगा जांच में लापरवाही पर सुप्रीम कोर्ट की महाराष्ट्र पुलिस को फटकार, एसआईटी गठित करने के निर्देश

Written by:Neha Sharma
Published:
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि पुलिस की वर्दी पहनने के बाद किसी भी अधिकारी को धर्म, जाति या किसी अन्य पूर्वाग्रह से ऊपर उठकर सिर्फ कानून के अनुसार कर्तव्य निभाना चाहिए।
अकोला दंगा जांच में लापरवाही पर सुप्रीम कोर्ट की महाराष्ट्र पुलिस को फटकार, एसआईटी गठित करने के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि पुलिस की वर्दी पहनने के बाद किसी भी अधिकारी को धर्म, जाति या किसी अन्य पूर्वाग्रह से ऊपर उठकर सिर्फ कानून के अनुसार कर्तव्य निभाना चाहिए। यह टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान आई, जिसमें मई 2023 में अकोला में हुए सांप्रदायिक दंगे की जांच में पुलिस की लापरवाही और पक्षपात को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने अपने कर्तव्यों में गंभीर लापरवाही दिखाई है और यह आचरण बिल्कुल अस्वीकार्य है।

मामला दरअसल 13 मई 2023 का है, जब महाराष्ट्र के अकोला जिले में दो समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कम से कम आठ लोग घायल हुए थे। शुरुआती कार्रवाई में पुलिस ने छह अलग-अलग एफआईआर दर्ज की थीं, लेकिन बाद की जांच को लेकर सवाल उठने लगे। याचिकाकर्ता मोहम्मद अफजल मोहम्मद शरीफ, जो इस हिंसा में गंभीर रूप से घायल हुए थे, ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि पुलिस ने न सिर्फ सही तरीके से जांच नहीं की बल्कि मेडिकल रिपोर्ट जैसी महत्वपूर्ण साक्ष्यों की भी अनदेखी की।

सुप्रीम कोर्ट की महाराष्ट्र पुलिस को फटकार

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि अफजल, जो खुद इस मामले के चश्मदीद गवाह हैं, को अभियोजन पक्ष की गवाह सूची से बाहर रखा गया। उनके अनुसार, पुलिस ने घटनाओं की निष्पक्ष जांच करने के बजाय पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया। इससे न सिर्फ न्याय की प्रक्रिया प्रभावित हुई बल्कि दोषियों को बचाने का भी प्रयास हुआ। अफजल ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए और जांच को निष्पक्ष तरीके से आगे बढ़ाया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए महाराष्ट्र के गृह सचिव को आदेश दिया है कि इस पूरे प्रकरण की जांच एक विशेष जांच दल (SIT) से कराई जाए। कोर्ट ने साफ निर्देश दिया कि इस SIT में दोनों समुदायों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हों, ताकि निष्पक्षता बनी रहे और किसी तरह का पक्षपात न हो। अदालत ने यह भी कहा कि कानून व्यवस्था की रक्षा करना पुलिस का कर्तव्य है और इसमें किसी भी तरह की चूक को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।