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Wed, Dec 17, 2025

जेल से संसद पहुंचे इंजीनियर रशीद बोले- गांधी, नेहरू, जिन्ना और पटेल इंडिया को एक नहीं रख सके

Written by:Vijay Choudhary
Published:
जेल से संसद पहुंचे इंजीनियर रशीद बोले- गांधी, नेहरू, जिन्ना और पटेल इंडिया को एक नहीं रख सके

29 जुलाई 2025 को संसद के मानसून सत्र में बारामूला से निर्दलीय सांसद इंजीनियर रशीद ने लोकसभा में बेहद भावुक अंदाज़ में कश्मीर मुद्दे पर अपनी बात रखी। तिहाड़ जेल में बंद रशीद को कोर्ट से कस्टडी पैरोल मिली है ताकि वे संसद सत्र में हिस्सा ले सकें।

उन्होंने कहा, “मैं पूछना चाहता हूं कि कश्मीरियों का क्या कसूर है? हमारा खून कौन लौटाएगा? हमें क्यों मारा जा रहा है?” उन्होंने कांग्रेस को भी याद दिलाया कि आजादी के बाद देश को एकजुट नहीं रखा जा सका। “नेहरू, जिन्ना, गांधी या पटेल हों – आपने इंडिया को तीन टुकड़ों में बांट दिया – इंडिया, पाकिस्तान और बांग्लादेश।”

पहलगाम में जो हुआ, वो इंसानियत का कत्ल था

इंजीनियर रशीद ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा, “जो हुआ वो पूरी इंसानियत के खिलाफ था। हम कश्मीरियों ने भी ये दर्द महसूस किया है, क्योंकि हमने 1989 से लेकर आज तक हजारों अपनों को खोया है।”

उन्होंने कहा कि घाटी के लोग लगातार हिंसा और लाशों के बीच जी रहे हैं। “हम थक गए हैं कब्रें खोदते-खोदते। लाशें उठाते-उठाते अब हमारी रूह कांपती है।”

हमें सोशल मीडिया पर लिखने तक की आज़ादी नहीं

रशीद ने कहा कि सरकार कश्मीरियों की आवाज को दबा रही है। “आप कहते हैं कि कश्मीर में सबकुछ ठीक है, लेकिन हमें सोशल मीडिया पर कुछ भी कहने नहीं दिया जाता। तीन हजार लोग जेलों में बंद हैं। आप कहते हैं कि सब शांत है, लेकिन ज़मीन की सच्चाई कुछ और है।”

उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “आपको कश्मीर की ज़मीन चाहिए या वहां के लोग? कश्मीर को हिंदू राष्ट्र बनाने की जल्दी है, बनाइए… लेकिन हमारी डेमोग्राफी से मत खेलिए, हमारे कल्चर से छेड़छाड़ मत कीजिए।”

आतंकवाद से लड़ने के लिए दिल जीतने होंगे

इंजीनियर रशीद ने सदन से कहा कि अगर आतंकवाद खत्म करना है, तो कश्मीरियों के दिल जीतने होंगे। “बॉर्डर पर सेना है, लेकिन जब आपकी संसद तक में लोग अंदर घुस सकते हैं, तो ये कहना कि सब कंट्रोल में है – सही नहीं होगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर समस्या का हल अमेरिका या ट्रंप के पास नहीं है, बल्कि वहां के लोगों के पास है। “कश्मीर का हल दिल्ली से नहीं, जम्मू-कश्मीर के लोगों की भागीदारी से निकलेगा। आपको तय करना है कि आप सत्ता में रहकर जमीन चाहते हैं या वहां के लोगों का भरोसा।”