पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर शाम अचानक राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा, “स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं।” उनके इस कदम ने दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
धनखड़ का इस्तीफा संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन आया जिसने सत्तारूढ़ गठबंधन को हैरान कर दिया। सूत्रों के अनुसार, धनखड़ ने रात 9 बजे राष्ट्रपति से मुलाकात की और आधे घंटे बाद अपने इस्तीफे को सार्वजनिक किया। हालांकि, सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से उनके इस्तीफे पर सामान्य प्रशंसा की कमी और सरकार की देरी से प्रतिक्रिया ने कई सवाल खड़े किए हैं। प्रधानमंत्री का संदेश 15 घंटे बाद दोपहर 12:13 बजे आया जबकि राष्ट्रपति भवन ने दोपहर 1:11 बजे इस्तीफे को स्वीकार कर लिया।
स्वास्थ्य से कहीं अधिक गहरे कारण
कांग्रेस ने दावा किया है कि धनखड़ के इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों से कहीं अधिक गहरे कारण हैं। पिछले सप्ताह धनखड़ ने विपक्षी नेताओं से जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग नोटिस लाने को कहा था जबकि सरकार इसे केवल लोकसभा में लाना चाहती थी। विपक्ष ने रविवार को जल्दबाजी में नोटिस तैयार किया जिस पर 63 विपक्षी सांसदों ने हस्ताक्षर किए, लेकिन एनडीए के एक भी सांसद ने समर्थन नहीं किया। इससे सरकार की जस्टिस वर्मा को हटाने की योजना पटरी से उतर गई।
राजनीतिक हलकों में अटकलों का दौर
जगदीप धनखड़ के इस अप्रत्याशित कदम ने राजनीतिक हलकों में अटकलों को जन्म दिया है। विपक्ष ने पिछले साल धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ महाभियोग नोटिस दिया था। अब उसने धनखड़ के जाने पर सवाल उठाए हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन की चुप्पी को लेकर भी तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। धनखड़ अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति बने थे। उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था।





