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Wed, Dec 17, 2025

राहुल गांधी संसद में बोलते हैं, तो उनकी पार्टी के ही सांसद हो जाते हैं असहज; किरेन रिजिजू ने साधा निशाना

Written by:Mini Pandey
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उन्होंने कहा कि संसद में बार-बार व्यवधान के कारण कई कांग्रेस सांसद और अन्य दलों के सांसद अपने क्षेत्रों के मुद्दे उठाने में असमर्थ रहे।
राहुल गांधी संसद में बोलते हैं, तो उनकी पार्टी के ही सांसद हो जाते हैं असहज; किरेन रिजिजू ने साधा निशाना

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला। रिजिजू ने आरोप लगाया कि जब राहुल गांधी संसद में बोलते हैं, तो उनकी अपनी पार्टी के सांसद असहज हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सांसदों को डर रहता है कि राहुल अनाप-शनाप बातें करेंगे, जिसका खामियाजा पूरी पार्टी को भुगतना पड़ता है। रिजिजू ने यह भी दावा किया कि राहुल गांधी अपनी पार्टी के सदस्यों की बात नहीं सुनते।

रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहुल गांधी को चौकीदार चोर बयान और भारत-चीन सीमा तनाव पर उनकी टिप्पणियों के लिए फटकार लगाए जाने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राहुल को एक भारतीय की तरह बोलना चाहिए, लेकिन वह किसी की नहीं सुनते, यहां तक कि अपनी पार्टी के लोगों की भी नहीं। रिजिजू ने यह भी कहा कि कांग्रेस को संसदीय चर्चाओं में कोई रुचि नहीं है और विपक्ष के रूप में वे अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभा नहीं पा रहे हैं।

संसद में बार-बार व्यवधान

उन्होंने कहा कि संसद में बार-बार व्यवधान के कारण कई कांग्रेस सांसद और अन्य दलों के सांसद अपने क्षेत्रों के मुद्दे उठाने में असमर्थ रहे। रिजिजू ने जोर देकर कहा कि संसद में चर्चा और बहस लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन कांग्रेस इसका सम्मान नहीं करती। उन्होंने मॉनसून सत्र को राष्ट्र के दृष्टिकोण से सफल, लेकिन विपक्ष के दृष्टिकोण से असफल बताया, क्योंकि सत्र में लोकसभा की उत्पादकता केवल 31% और राज्यसभा की 39% रही।

संविधान संशोधन विधेयक का भी जिक्र

रिजिजू ने संविधान संशोधन विधेयक का भी जिक्र किया, जो गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत में लिए जाने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी अन्य मंत्री को पद से हटाने का प्रावधान करता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विधेयक में प्रधानमंत्री को छूट देने की सिफारिश को ठुकरा दिया, क्योंकि कोई भी पद कानून से ऊपर नहीं होना चाहिए। रिजिजू ने कहा कि अगर विपक्ष ने नैतिकता को केंद्र में रखा होता तो वह इस क्रांतिकारी विधेयक का स्वागत करता।