समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कन्नौज के तिर्वा क्षेत्र में शनिवार को वोट चोरी के मुद्दे पर निर्वाचन आयोग की आलोचना की और इसे ‘जुगाड़ आयोग’ करार दिया। पुनगरा और भरखरा गांव में मीडिया से बातचीत में उन्होंने समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण पर तंज कसते हुए कहा कि वे कठिन परीक्षाएँ पास कर बड़े अधिकारी बने, फिर जनता को गुमराह कर विधायक और मंत्री बन गए। अखिलेश ने उन पर सपा के खिलाफ वोट चोरी का आरोप लगाने का पलटवार किया और पूछा कि सपा सरकार के समय के दोषी अधिकारियों पर बीजेपी सरकार कार्रवाई क्यों नहीं कर रही। उन्होंने निर्वाचन आयोग से ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, अन्यथा असीम अरुण के आरोपों को गलत माना जाएगा।
अखिलेश ने बीजेपी सरकार पर बुनियादी ढांचे और संस्थानों को बर्बाद करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार प्रतिदिन दो करोड़ रुपये टोल टैक्स वसूलती है, फिर भी एक्सप्रेसवे की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा। काऊ मिल्क प्लांट, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, राजकीय मेडिकल कॉलेज, कार्डियोलॉजी और इंजीनियरिंग कॉलेज जैसे संस्थानों को सरकार ने बर्बाद कर दिया। बिहार चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि बिहार की जनता निष्पक्ष चुनाव चाहती है और सपा इस दिशा में लोगों को जागरूक करेगी।
पितृ पक्ष के बाद शुरू होगा ‘गांव चलो अभियान’
अखिलेश यादव ने ऐलान किया कि पितृ पक्ष के बाद सपा उत्तर प्रदेश में ‘गांव चलो अभियान’ शुरू करेगी। इस अभियान के तहत पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी गांवों में रात्रि विश्राम करेंगे, पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) चौपाल लगाएंगे और लोगों को सपा के पक्ष में लामबंद करेंगे। साथ ही, वे जातीय आधार पर अधिकारियों की तैनाती जैसे मुद्दों को जनता के सामने उठाएंगे। अखिलेश ने कार्यकर्ताओं को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव की मतदाता सूचियों पर नजर रखने के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए।
मतदाता सूची पर सजगता और सपा की रणनीति
सपा अध्यक्ष ने मतदाता सूची में गड़बड़ी की आशंका को लेकर कार्यकर्ताओं को सतर्क रहने की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि पार्टी आगामी त्रिस्तरीय पंचायत और विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुट गई है। गांव चलो अभियान के जरिए सपा ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने और लोगों को बीजेपी सरकार की कथित नाकामियों के खिलाफ एकजुट करने की कोशिश करेगी। अखिलेश की यह रणनीति सपा को उत्तर प्रदेश में मजबूत विपक्ष के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।





