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Fri, Dec 19, 2025

पंचायती जनादेश ने दिया बदलाव का संकेत, हरीश रावत बोले- झूठ-लूट-फूट की राजनीति को ग्रामीणों ने नकारा

Written by:Vijay Choudhary
Published:
पंचायत चुनाव के नतीजे अगर सचमुच जनभावनाओं के प्रतीक हैं, तो 2027 का सियासी नक्शा अब से ही खिंचने लगा है।
पंचायती जनादेश ने दिया बदलाव का संकेत, हरीश रावत बोले- झूठ-लूट-फूट की राजनीति को ग्रामीणों ने नकारा

कांग्रेस नेता हरीश रावत

उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 के नतीजों ने जहां कांग्रेस में नई ऊर्जा भर दी है, वहीं भाजपा के लिए यह जनादेश एक बड़ा झटका माना जा रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस मौके पर ग्रामीण जनता का आभार जताते हुए भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। रावत ने कहा कि यह चुनाव परिणाम न सिर्फ एक चेतावनी है बल्कि एक राजनीतिक जागरूकता की बयार है, जो 2027 में सत्ता परिवर्तन की नींव रख चुका है।

पंचायती लोकतंत्र हत्या नीति

हरीश रावत ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने पिछले वर्षों में लगातार पंचायती व्यवस्था की अवहेलना की है। पंचायतों को आत्मनिर्भर और जवाबदेह बनाने की बजाय सरकार ने उन्हें कमजोर और सीमित बना दिया है। रावत बोले, “भाजपा ने सिर्फ पंचायतों की उपेक्षा नहीं की, बल्कि उनके अस्तित्व को कुचलने का काम किया है। यह जनादेश उसी निरंतर अवहेलना के खिलाफ जनता की क्रांति है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि लोकतंत्र की सबसे पहली कड़ी ग्राम पंचायत होती है और वहां से बदलाव की जो चिंगारी उठी है, वह आगे राज्य स्तर तक पहुंचेगी। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि सरकार ने योजनाओं के क्रियान्वयन में ग्राम प्रधानों की भूमिका को कमतर किया और सत्ताधारी दल के प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रशासन चलाया गया, जो लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है।

‘झूठ-लूट-फूट’ की नीति पर लगा ठप्पा

रावत ने भाजपा की नीतियों पर सीधा हमला करते हुए कहा कि “भाजपा सिर्फ झूठ, लूट और फूट की राजनीति करती है। यह उनकी पहचान बन चुकी है। लेकिन अब जनता ने इसे पहचान लिया है और नकार भी दिया है।” उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब ग्रामीण मतदाताओं ने भावनाओं के बजाय मुद्दों के आधार पर वोट दिया है। महंगाई, बेरोजगारी, गांवों से बढ़ते पलायन, टूटता बुनियादी ढांचा और कमजोर होती स्थानीय अर्थव्यवस्था, इन सबका हिसाब जनता ने मांगना शुरू कर दिया है। “ये नतीजे साबित करते हैं कि ग्रामीण उत्तराखंड अब ‘वादों’ से नहीं, ‘परिणामों’ से वोट देगा। यह भाजपा के लिए स्पष्ट संदेश है कि उनकी चालाकी भरी राजनीति अब नहीं चलेगी।”

बेरोजगारी और पलायन के खिलाफ जनादेश

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार की नीतियां भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती रही हैं। उन्होंने कहा, “चाहे सड़कों की हालत हो, स्कूलों में शिक्षक हों या अस्पतालों में डॉक्टर हर क्षेत्र में बदहाली और लापरवाही दिखती है। ग्रामीण जनता ने इसका जवाब वोट के जरिए दिया है।” हरीश रावत ने कहा कि पलायन का मुद्दा वर्षों से जमीनी समस्या रहा है, लेकिन सरकार ने सिर्फ घोषणाएं कीं, ठोस कदम नहीं उठाए। बेरोजगारी की मार झेल रही युवा पीढ़ी के पास विकल्प नहीं हैं, और वे अपने ही गांव छोड़ने को मजबूर हैं। इस सामाजिक और आर्थिक विस्थापन के खिलाफ भी यह मतदान एक निर्णायक टिप्पणी है।

जनता ने खुद को देखा

रावत ने इस जनादेश को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि “यह पहली बार हुआ है जब जनता ने किसी और के कहे पर नहीं, बल्कि अपनी जरूरतें, पीड़ाएं और प्राथमिकताएं देखकर वोट दिया है।” उन्होंने कहा कि “मुझे इस बात की सबसे ज्यादा खुशी है कि लोगों ने पहली बार खुद को देखा है, खुद की जिंदगी को वोटिंग बूथ पर लेकर गए हैं। इससे बड़ा लोकतांत्रिक परिवर्तन और क्या हो सकता है?” पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी विश्वास जताया कि अगर यही जागरूकता बनी रही, तो 2027 में उत्तराखंड में कांग्रेस की सत्ता वापसी तय है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से भी आग्रह किया कि वे इस जन समर्थन को सिर्फ एक चुनावी नतीजा न समझें, बल्कि इसे आने वाले चुनावों के लिए बुनियादी जनसंवाद का आधार बनाएं। उत्तराखंड में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत के बयान न सिर्फ एक राजनीतिक प्रतिक्रिया हैं, बल्कि वे ग्रामीण चेतना के उभार और सत्ता के खिलाफ जनक्रांति का प्रतीक बनते जा रहे हैं। पंचायत चुनाव के नतीजे अगर सचमुच जनभावनाओं के प्रतीक हैं, तो 2027 का सियासी नक्शा अब से ही खिंचने लगा है।